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जोशीमठ में और चौड़ी हो रहीं दरारें, दो और होटल्स की बिल्डिंग एक-दूसरे की ओर झुकीं, डेंजर जोन वाले मकानों की संख्या 800 के पार

चमोली जिले में जोशीमठ शहर स्थित है. यह समुद्र तल से 6,107 फीट की ऊंचाई पर बसा है. इसकी आबादी 23000 है. इसे बद्रीनाथ का मुखद्वार भी कहा जाता है. यहां भूधंसाव के चलते अब तक 650 से ज्यादा घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. इतना ही नहीं कई जगहों पर सड़क फट गई है. जमीन के नीचे से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है.

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जोशीमठ में दरकती जमीन की तस्वीरें
जोशीमठ में दरकती जमीन की तस्वीरें

उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात बिगड़ते चले जा रहे हैं. भू-धंसाव के चलते तमाम घरों और होटलों में दरारें पड़ गई हैं. प्रशासन ने असुरक्षित जोन घोषित किए हैं. ऐसे में जो घर और इमारतें सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन्हें जल्द ही जमींदोज करने की प्रक्रिया चल रही है. इसी बीच जोशीमठ में दो और होटलों के एक दूसरे की तरफ झुकने की खबर है. 

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जानकारी के मुताबिक असुरक्षित घोषित किए गए दो होटलों 'मलारी इन' और 'माउंट व्यू' को ध्वस्त करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही थी. कि इसी बीच साइट से लगभग 100 मीटर की दूरी पर, दो और होटल- स्नो क्रेस्ट और कॉमेट, खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुके हुए हैं और एहतियात के तौर पर खाली कर दिए गए हैं. यानी कि ये होटल कभी भी एक दूसरे से टकरा सकते हैं.

वहीं स्नो क्रेस्ट के मालिक की बेटी पूजा प्रजापति का कहना है की दोनों होटलों के बीच का अंतर पहले लगभग चार फीट था, लेकिन अब यह कुछ इंच तक सीमित हो गया है और उनकी छतें लगभग एक-दूसरे को छू रही हैं. जिसके बाद प्रशासन की चिंता और बढ़ गई है. सिंगधर वार्ड के एक होटल मालिक ने बताया कि शनिवार रात इलाके में दरारें और बढ़ गईं.

800 से ज्यादा हुई दरार वाले घरों की संख्या

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इसके अलावा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से कहा गया है कि जिन घरों में दरारें आ गई हैं, उनकी संख्या अब बढ़कर 826 हो गई है, जिनमें से 165 'डेंजर जोन' में हैं. वहीं अब तक 233 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित किया गया है. दूसरी तरफ जोशीमठ-औली रोपवे के पास काफी बड़ी दरारें भी दिखाई दी हैं, जिसका संचालन एक सप्ताह पहले निलंबित कर दिया गया था, जब भूमि धंसाव बढ़ गया था.

बता दें कि एशिया के सबसे बड़े रोपवे में से एक माना जाने वाला 4.5 किमी का रोपवे 6000 फीट पर स्थित जोशीमठ को 9000 फीट की ऊंचाई पर औली के स्कीइंग रूट से जोड़ता है. रोपवे इंजीनियर दिनेश भट्ट ने कहा कि रोपवे परिसर में दीवारों के पास लगभग चार इंच चौड़ी और 20 फीट लंबी दरार दिखाई दी है.

कस्बे की जेपी कॉलोनी में कुछ दिनों पहले अस्थायी गिरावट के बाद संदिग्ध भूमिगत नाला फटने से पानी का बहाव बढ़ गया था. 2 जनवरी से इसमें से लगातार मटमैला पानी नीचे रिस रहा है, एक्सपर्ट्स इसको लेकर भी नजर बनाए हुए हैं. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि क्षेत्र में उतार-चढ़ाव वाले पानी के रिसाव की गति पर लगातार नजर रखी जा रही है. जल प्रवाह 190 लीटर प्रति मिनट से बढ़कर 240 लीटर प्रति मिनट हो गया है. यह 13 जनवरी को शुरुआत में 550 लीटर प्रति मिनट से घटकर 190 लीटर प्रति मिनट हो गया था.

17 और परिवारों को अस्थायी राहत केंद्र में पहुंचाया गया

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आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार रविवार को 17 और प्रभावित परिवारों को जोशीमठ के अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया. अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित परिवारों की कुल संख्या अब 233 हो चुकी है. वहीं अब तक अंतरिम सहायता के रूप में प्रभावित परिवारों के बीच 249.27 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है. जिनको राशन किट, कंबल, भोजन, दैनिक उपयोग की किट, हीटर और ब्लोअर भी उपलब्ध कराए गए हैं.

इसी बीच जोशीमठ पर छाए संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार को जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड 16 जनवरी की वाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की पीठ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी.

वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड सरकार द्वारा इसरो सहित कई सरकारी संस्थानों को बिना पूर्वानुमति के जोशीमठ की स्थिति पर मीडिया के साथ बातचीत या सोशल मीडिया पर जानकारी साझा नहीं करने का निर्देश दिया गया है. यह निर्देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों के बाद आया, जिसमें जोशीमठ में 27 दिसंबर और 8 जनवरी के बीच तेजी से धंसने की दर दिखाई गई, जिससे स्थिति पर चिंता बढ़ गई. हालांकि अब इन तस्वीरों को लेकर एक नया सवाल भी खड़ा हो गया है क्योंकि वेबसाइट से इन्हीं तस्वीरों को हटा भी लिया गया है. 

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