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देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ आंदोलन में कूदे पुजारियों के परिजन, सरकार को दी चेतावनी

केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के लोग बोर्ड के विरोध में मंदिर परिसर में ही उपवास पर बैठ गए हैं. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को यह चेतावनी भी दी है कि यदि इस बोर्ड को जल्द भंग नहीं किया जाता है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

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केदारनाथ मंदिर परिसर में उपवास पर बैठे पुजारी (फोटोः एएनआई)
केदारनाथ मंदिर परिसर में उपवास पर बैठे पुजारी (फोटोः एएनआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आंदोलन में कूदे तीर्थ पुरोहितों के परिजन
  • पुरोहितों की चेतावनी- तेज करेंगे आंदोलन

उत्तराखंड सरकार ने चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है. प्रदेश सरकार की ओर से गठित इस बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित खुलकर मैदान में आ गए हैं. केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहितों ने मंदिर परिसर में ही भूख हड़ताल शुरू कर दी है. केदारनाथ घाटी में जगह-जगह देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. तीर्थ पुरोहितों के गांवों में सरकार और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के पुतले फूंके जा रहे हैं.

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केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के लोग बोर्ड के विरोध में मंदिर परिसर में ही उपवास पर बैठ गए हैं. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को यह चेतावनी भी दी है कि यदि इस बोर्ड को जल्द भंग नहीं किया जाता है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड का गठन उनके हक के साथ खिलवाड़ करने के लिए किया गया है. 

तीर्थ पुरोहित कह रहे हैं कि तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनते ही बोर्ड के गठन पर फिर से विचार करने की बात कही थी लेकिन पुनर्विचार की बजाए अब बोर्ड का विस्तार किया जा रहा है. इसे बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा. तीर्थ पुरोहितों कहा कि जब तक बोर्ड को भंग नहीं किया जाता, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि अभी तो  सिर्फ सांकेतिक उपवास किया जा रहा है. यदि सरकार बोर्ड भंग करने का फैसला जल्द नहीं लेती है तो आंदोलन को और तेज कर दिया जाएगा. 

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आंदोलन में कूदे तीर्थ पुरोहितों के परिजन

देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन में अब उनके परिजन भी शामिल हो गए हैं. केदारघाटी में जहां भी तीर्थ पुरोहितों के गांव हैं, वहां बोर्ड का विरोध करते हुए लोग सरकार का पुतला दहन कर रहे हैं. देवस्थानम बोर्ड का विरोध और तेज होता जा रहा है. प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में ये आंदोलन सरकार के लिए मुश्किल का सबब बन गया है.

 

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