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पावर प्रोजक्ट नहीं, इस कारण हुआ था जोशीमठ का भू-धंसाव, उत्तराखंड के ऊर्जा सचिव ने बताई वजह

इंडिया टुडे 'स्टेट ऑफ द स्टेट:उत्तराखंड फर्स्ट' कॉन्क्लेव में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्य ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जोशीमठ में चल रहे तपोवन विष्णुगाड़ पावर प्रोजक्ट की वजह से वहां भू-धंसाव नहीं हुआ था. इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञ कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट का हवाला दिया.

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उत्तराखंड के ऊर्चा सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम
उत्तराखंड के ऊर्चा सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम

उत्तराखंड के ऊर्जा सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने इंडिया टुडे 'स्टेट ऑफ द स्टेट:उत्तराखंड फर्स्ट' कॉन्क्लेव में शिरकत की. 'ऊर्जा: उत्तराखंड मॉडल का पुनर्निर्माण' विषय पर आयोजित इस सत्र में भाग लेते हुए डॉ. सुंदरम ने कहा जब उत्तराखंड का निर्माण हुआ तो ऊर्जा प्रदेश के रूप में इसकी परिकल्पना की गई थी. उन्होंने बताया कि तब तीन क्षेत्रों की पहचान की गई जिनमें टूरिज्म, हॉर्टिकल्चर और हाईड्रोपावर शामिल थे.

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25000 मेगावाट की थी हमारी क्षमता

डॉ. सुंदरम ने कहा, 'हमें ऐसा ऊर्जा प्रदेश बनना था, केवल अपने ही राज्य को नहीं बल्कि देशों को भी बिजली देनी थी. लेकिन कुछ रूकावटें आ गईं. हमारे राज्य में 25 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है लेकिन जो प्रोजक्ट हैं और जो चल रहे हैं उनसे हम 15000 हजार मेगावाट ही पैदा कर सकते हैं. अभी भी 10 हजार मेगावाट को टैप नहीं किया जा सका है. इसके लिए कई कारण है. प्रमुख कारण हैं विपक्ष, विपक्ष मतलब, पर्यावरणविद्, वो लोग जो मानते हैं कि नदियों का बहाव रूकना नहीं चाहिए. इसलिए भागीरथी वैली में होने वाले सभी प्रोजक्ट फाइनली छोड़ दिए गए हैं.'

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उन्होंने कहा, 'वहीं अलकनंदा की बात करें तो कुल 44 पावर प्रोजक्ट हैं, जिसमें से 24 रूल्ड आउट हो गए हैं. बांकि 20 में से 10 को सभी क्लिरिंयस मिल गई है वो अभी जल मंत्रालय में रूके हैं. 10 बचे अन्य प्रोजक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से मंजूरी मिल गई है. हमने सरकार और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि कम से कम इन 10 प्रोजक्ट को संस्तुति दे दें. हम अन्य नदियों, जैसे यमुना, टोंस, धौलीगंगा,गौरीगंगा पर फोकस कर रहे हैं. हम छोटी विद्युत परियोजनाओं पर भी फोकस कर रहे हैं.'

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जोशीमठ भू-धंसाव पर कही बड़ी बात

जोशीमठ में चल रहे तपोवन विष्णुगाड़ पावर प्रोजक्ट को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'जोशीमठ लैंडस्लाइड को लेकर लोगों ने इस प्रोजक्ट को दोष दिया. इस लैंडस्लाइड के बाद बड़ी संख्या में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन द्वारा यहां विशेषज्ञ भेजे गए, सबने अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट को कंपाइल करने के बाद एनडीएमए ने राज्य सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी गई है. सभी रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इन चीजों के लिए पावर प्रोजक्ट को ब्लेम नहीं किया जा सकता है. अंतिम निर्णय यह निकला कि पूरा जोशीमठ एक पुराने एवलॉन्च पर बना हुआ है जिसकी वजह से भूमिगत चट्टानों से पानी आने लगा और इसकी वजह से लीकेज हुए और क्रैक्स आने लगे.'

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 प्रोजक्ट शुरू करने से पहले होती है पूरी स्टडी

डॉ. सुंदरम ने बताया कि कैसे उन्होंने हरिद्वार का डीएम रहते हुए एक संभावित बाढ़ को टाला थ और इसके लिए टिहरी डैम में पानी को कुछ समय के लिए रोका गया था. डॉ. सुंदरम ने बताया कि कोई भी प्रोजक्ट को शुरू करने से पहले जल मंत्रालय द्वारा उसका पूरा अध्ययन किया जाता है.इस तरह की स्टडी चलते रहती है और अगर लगता है कि कुछ और बेहतर करने की जरूरत है तो भारत सरकार उचित कदम उठाती है. उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा की दिशा में भी सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं जिसके परिणाम भविष्य में दिखेंगे.

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