उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर करीब 90 दिन बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. विनाशकारी हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आग फैलते हुए देहरादून और ऋषिकेश तक पहुंच गई है. आग लगने के पीछे कारण अब तक स्पष्ट नहीं है. हालांकि कड़ी माफिया और भू-माफिया पर भी शक होने के आधार पर अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सोमवार शाम तक जंगल की आग कसौली में बोर्डिंग स्कूल तक पहुंची गई, जिसके बाद वहां से छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया गया.
हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भड़की आग से सोलन स्थित UNESCO के वर्ल्ड हेरिटेज ट्रैक को काफी नुकसान हुआ है. धरमपुर के पास ट्रेन ट्रैक पर जलती लकड़ियां और पत्थर गिरने से कुछ देर के लिए ट्रेन को रोकना पड़ा. आग की वजह से सैकड़ों एकड़ में पेड़ जल गए हैं. बताया जा रहा है कि आग हिमाचल प्रदेश में एनएच-22 तक पहुंच गई है. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सड़कों के आसपास की आग पर काबू पा रही हैं. जंगलों में हालात बिगड़ रहे हैं.
Four people arrested today: Environment Minister Prakash Javadekar on if #UttarakhandForestFire was a man-made fire pic.twitter.com/HX3aOoTKUa
— ANI (@ANI_news) May 2, 2016
जंगलों में लगी से आग से उत्तराखंड के सभी 13 जिले प्रभावित हैं. नैनीताल में रामनगर के जंगलों से लेकर देहरादून के शिवालिक रेंज में भी आग का कहर बरपा है.
6000 से ज्यादा कर्मचारी काबू पाने में जुटे
पीएमओ, एनडीआरएफ, गृह और पर्यावरण मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. केंद्र की चार सदस्यीय एक्सपर्ट टीम पहले से ही राज्य में मौजूद है और आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स के MI-17 हेलीकॉप्टरों की मदद भी ली जा रही है. बताया जा रहा है कि आग पर काबू पाने में अभी तीन से चार दिन का समय और लग सकता है. एनडीआरएफ की तीन टीमों के अलावा 6000 से ज्यादा कर्मचारी आग पर काबू पाने की कोशिश में जुटे हैं.
WATCH: Latest visuals of #UttarakhandForestFire, 2270 hectares of forest area affected (Visuals from Uttarkashi)https://t.co/CljQDK1cJY
— ANI (@ANI_news) May 2, 2016
2 फरवरी को सामने आई थी पहली घटना
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आग के कारणों की जांच बाद में होगी. अभी प्राथमिकता आग पर काबू पाने की है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले में शक के आधार पर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस साल 2 फरवरी को जंगलों में आग लगने की पहली घटना सामने आई थी. साल 2012 में भी उत्तराखंड के जंगलों में ऐसी ही आग लगी थी. तब करीब दो हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में नुकसान हुआ था.
PMO,NDRF,IAF working in unison, I'm sure #UttarakhandForestFire will be extinguished in 3-4 days-Prakash Javadekar pic.twitter.com/eZeYwkGGf9
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हिमाचल प्रदेश में भी आग का कहर
हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी करीब 400 हेक्टेयर वन भूमि में आग फैली है. राज्य के शिमला, सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिले आग से प्रभावित हैं. अकेले शिमला में ही करीब 100 हेक्टेयर में आग लगी. शिमला में वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं. इस काम में सैटेलाइट की भी मदद ली जा रही है.
Fire broke out in some areas of Rajouri forest division in J&K yesterday pic.twitter.com/1CjpS2iiBt
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जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भी आग का कहर देखा जा रहा है. धुंध की वजह से एयरफोर्स के ऑपरेशन में थोड़ी देरी हुई. फिलहाल आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं.
Srinagar: IAF's operations delayed due to low visibility as thick smoke engulfs area affected by #Uttarakhand fire pic.twitter.com/xHhiCaxvKv
— ANI (@ANI_news) May 2, 2016
ये भी हो सकता है आग लगने का बड़ा कारण
जंगलों में आग लगने के पीछे तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. जिनमें से एक वजह लकड़ी माफिया को भी बताया जा रहा है. दरअसल, जंगल की जली हुई और खराब लकड़ी नीलामी के जरिए बेची जाती है. अब तक की आग में हजारों की संख्या में पेड़ जल चुके हैं, उन्हें बेचने से वन विकास प्राधिकरण को काफी पैसा मिलेगा और इससे लकड़ी माफिया को भी बड़ा फायदा होगा. इसके साथ ही आग लगने की वजह से जो जंगल नष्ट हो गए हैं वहां की जमीन दूसरे कामों के लिए बेची जा सकती है, इससे बिल्डर लॉबी को बड़ा फायदा होगा.