बाढ के दौरान टीवी चैनलों, अखबारों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर छाई रही ऋषिकेश की विशाल शिव मूर्ति के तेज जलधार में बह जाने के बावजूद मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है. अब इसे वैज्ञानिक सलाह लेकर परमार्थ निकेतन आश्रम में नए सिरे से स्थापित किया जायेगा.
ऋषिकेश में स्वर्गाश्रम के पास स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम की पहचान शिव की इस धवल और विशाल प्रतिमा से है, जिसके सामने रोज शाम को गंगा आरती होती है. पिछले साल उत्तरकाशी में आई बाढ के दौरान भी वहां शिव की मूर्ति जल में समा गई थी.
आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बताया, ‘पिछली बार मूर्ति के में समाने के बाद हमने 15 फुट ऊंचा पुल बनाकर उसकी स्थापना की थी, लेकिन इस बार जल की धार इतनी तेज थी कि मूर्ति बह गई. वैसे हमने उसकी फिल्म बना ली है और मूर्ति का पता चल गया है. प्रवाह कम होने पर उसे आश्रम लाया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है और उसे अब विशेषज्ञों की सलाह लेकर वैज्ञानिक तरीके से स्थापित किया जाएगा, ताकि आइंदा ऐसा न हो.’
चिदानंद सरस्वती ने कहा, ‘हम लोगों के पुनर्वास के काम में मदद करेंगे. किस तरह की मदद की जाएगी, उसके लिये रूपरेखा तैयार की जा रही है. फिलहाल हमारी प्राथमिकता केदारनाथ और रामबाड़ा में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में मदद करने की है.’
उन्होंने बताया, ‘इसके अलावा बाहर से आए तीर्थयात्रियों के लिए परमार्थ निकेतन के 1000 कमरे खोल दिये गए हैं. आश्रम में योग कक्षाएं फिलहाल बंद कर दी गई हैं. लोगों के खाने, रहने और सत्संग की व्यवस्था की गई है.’
परमार्थ निकेतन ने पिछले साल उत्तरकाशी में आई बाढ के बाद क्षतिग्रस्त हुए एक स्कूल की फिर से स्थापना की थी, जिसमें 386 बच्चे पढ रहे हैं. इसके अलावा तमिलनाडु में 2004 में आई सुनामी के बाद कड्डलौर में तीन गांव गोद लेकर वहां पुनर्वास की पूरी जिम्मेदारी ली थी.