रुद्रपुर के नेस्ले प्लांट में काम करने वाले 1,100 मैगी कर्मचारियों को रिक्शा खींचना, चाय की दुकान और मजदूरी जैसे काम करने पड़ रहे हैं. पिछले तीन महीनों से यहां मैगी का उत्पाद बंद हो चुका है.
43 वर्षीय राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि मैगी का उत्पाद रुक जाने से उन्हें बड़ा धक्का लगा था. 'पहले मैं अपने परिवार का गुजारा करने के लिए पर्याप्त पैसे कमा लिया करता था. लेकिन अब मैं रिक्शा खींचने को मजबूर हूं.'
हल्द्वानी के ररुद्रपुर में अलग अलग राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश से मैगी प्लांट में काम करने आए लोगो के पास रिक्शा चलाने, मजदूरी करने, घरों में काम करने या वेटर बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
जून में मैगी पर प्रतिबंध लगने के बाद से मैगी के प्लांट में काम कर रहे लोगों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. रुद्रपुर प्लांट में काम करने वाले ललता प्रसाद ने तो इस प्रतिबंध के लगने के बाद आत्महत्या ही कर ली थी. हालांकि मैगी के अधिकारियों का मानना है कि सितंबर में उत्तराखंड में मैगी पर से रोक हटाई जा सकती है.