केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को लिखे विरोधाभासी पत्र के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतरमंत्रालय कमिटी के दो अन्य विभागों जल संसाधन और ऊर्जा मंत्रालय को हलफनामा दाखिल करने कहा है. सीनियर वकील प्रशांत भूषण की आपत्ति के बाद मंगलवार को कोर्ट ने कमिटी के दो अन्य मंत्रालयों को भी हरी झंडी पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है.
तीन मंत्रालयों की कमिटी में एक ने ही दिया हलफनामा
इसके पहले अंतरमंत्रालय कमिटी में शामिल पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कुछ शर्तों के साथ हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्टों को हरी झंडी देने की बात कही थी. उमा भारती ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी कि गंगा के अविरल प्रवाह के लिए तीनों मंत्रालयों की सहमति की जरूरत थी जबकि एक मंत्रालय ने ही हलफनामा दाखिल किया था.
उत्तराखंड त्रासदी के बाद रोका गया हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट
जलसंसाधन के अंतर्गत कमिटी के सचिव बनाए गए थे और उन्हें ही सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना था. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी के बाद प्रदेश में हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्टों पर रोक लगा दी थी.