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Uttarakhand: नैनी झील का जलस्तर 4.7 फीट तक गिरा, गर्मी में हालात और बिगड़ने की आशंका

नैनीताल की नैनी झील का जलस्तर 4.7 फीट तक गिर गया है, जो पांच वर्षों में सबसे कम है. कम बारिश और बर्फबारी के चलते गर्मी में झील सूखने की आशंका बढ़ गई है जलग्रहण क्षेत्र में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई ने स्थिति और बिगाड़ी है. प्रशासन और स्थानीय लोगों के लिए यह बड़ा संकट बन सकता है.

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नैनी झील का जलस्तर 4.7 फीट तक गिरा
नैनी झील का जलस्तर 4.7 फीट तक गिरा

उत्तराखंड के नैनीताल की नैनी झील का जलस्तर पांच साल के सबसे निचले स्तर 4.7 फीट तक गिर चुका है. कम बारिश और बर्फबारी के कारण झील के सूखने का खतरा बढ़ गया है. आने वाले गर्मी और पर्यटन सीजन के चलते यह हालात प्रशासन और स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

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पिछले साल मानसून के दौरान झील का जलस्तर 12 फीट तक पहुंच गया था, जिससे जलनिकासी करनी पड़ी थी. लेकिन इस साल बेहद कम बारिश और बर्फबारी ने झील को सूखने की कगार पर ला दिया है.

नैनीताल में इस बार सर्दियों के दौरान केवल दो बार 9 दिसंबर और 12 जनवरी को बर्फबारी हुई, जो झील के जलस्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं थी. आमतौर पर, जनवरी और फरवरी में झील का जलस्तर 5 फीट से ऊपर होता है, लेकिन इस बार यह 4.7 फीट तक गिर गया है.

मई-जून तक झील के सूखने की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जलस्तर की गिरावट इसी रफ्तार से जारी रही, तो मई-जून से पहले ही झील पूरी तरह सूख सकती है. इससे जल संकट के साथ-साथ पर्यटन पर भी बड़ा असर पड़ सकता है.

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वन कटाई और अंधाधुंध निर्माण बने बड़ी वजह

पर्यावरणविद् यशपाल रावत के अनुसार, इस स्थिति के लिए केवल बारिश की कमी ही जिम्मेदार नहीं है. झील के जलग्रहण क्षेत्र में बढ़ता अवैध निर्माण, जंगलों की कटाई और प्राकृतिक जलभराव क्षेत्रों का कंक्रीटीकरण भी इसका मुख्य कारण हैं.

उन्होंने बताया कि हिमालयी ओक (बांज) के पेड़ों की कटाई से जल संरक्षण में कमी आई है. पहले घरों में बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए पत नाले होते थे, जिससे पानी जमीन में समा जाता था. लेकिन अब कंक्रीट के घर और सड़कें बारिश के पानी को सोखने नहीं देतीं, जिससे भूजल स्तर भी गिर रहा है

जल संकट से निपटने की जरूरत

झील के जलस्तर में लगातार गिरावट को देखते हुए जल संस्थान और सिंचाई विभाग ने चिंता जताई है. नैनीताल के स्थानीय व्यापारियों और होटल व्यवसायियों को भी पर्यटन सीजन पर असर पड़ने की आशंका सता रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो नैनीताल को भविष्य में बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.

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