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जंगल बचाने का आदेश, नैनीताल HC ने हाथी कॉरिडोर में 3000 पेड़ों की कटाई रोकी

नैनीताल हाईकोर्ट ने हाथी कॉरिडोर सुरक्षा मामले में प्रस्तावित हाईवे प्रोजेक्ट पर चिंता जताते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है. 3000 से अधिक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई है. स्थानीय निवासियों ने भी पेड़ों की कटाई का विरोध किया था और इस पर रोक लगाने के लिए प्रदर्शन भी किया था.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक (चैटजीपीटी)
नैनीताल हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक (चैटजीपीटी)

उत्तराखंड के नैनीताल हाईकोर्ट ने हाथी कॉरिडोर सुरक्षा मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने हाथी कॉरिडोर से गुजरने वाले एक प्रस्तावित हाईवे प्रोजेक्ट पर चिंता जताते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने यह आदेश दिया, जिसमें पर्यावरणीय आकलन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.

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देहरादून के भानियावाला से ऋषिकेश के बीच प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत मौजूदा दो लेन सड़क को चार लेन में बदला जाना है, जिसके लिए 3000 से अधिक पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है. स्थानीय निवासियों ने इस कटाई का विरोध किया और इस पर रोक लगाने के लिए प्रदर्शन भी किया था.

बताया जाता है की यह इलाका घने वनों और जैव विविधता से भरपूर है, जिसमें साल (772), रोहिणी (1000), कंजू (880), अमलतास (143) समेत कई अन्य पेड़ शामिल हैं. साथ ही, यहां हाथी, तेंदुए और हिरण जैसे वन्यजीव भी पाए जाते हैं। पेड़ों की कटाई से इस संवेदनशील पर्यावरणीय संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और हरे-भरे क्षेत्र की कमी से तापमान में वृद्धि होगी. देहरादून घाटी पहले ही गर्मियों में भीषण गर्मी का सामना कर रही है.

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हाथी कॉरिडोर का महत्व

नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी और स्निग्धा तिवारी ने महत्वपूर्ण प्रमाण पेश किए, जिसमें उत्तर भारत के विभिन्न हाथी कॉरिडोर की पारिस्थितिकीय महत्ता को दर्शाया गया. उन्होंने न्यायालय के समक्ष एनेक्सर-22 और एनेक्सर-19 प्रस्तुत किए, जिनमें इन कॉरिडोर की भौगोलिक स्थिति, लंबाई और चौड़ाई की जानकारी दी गई है.

कोर्ट ने माना कि ये कॉरिडोर हाथियों की आवाजाही के लिए बेहद आवश्यक हैं और इन्हें किसी भी अवैध निर्माण से बचाया जाना चाहिए. दर्ज आंकड़ों के अनुसार, बसंता कॉरिडोर (30 किमी लंबा, 10 किमी चौड़ा), छेदिया कॉरिडोर (30 किमी लंबा, 0.5 किमी चौड़ा), दुधवा कॉरिडोर (13 किमी लंबा, 10 किमी चौड़ा) और शिवालिक कॉरिडोर (32 किमी लंबा, 23 किमी चौड़ा) क्षेत्र में जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 

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हाईकोर्ट ने संभावित पर्यावरणीय खतरों को देखते हुए याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह सभी दस्तावेजों का गहन अध्ययन करें और एक शपथ पत्र प्रस्तुत करें. जिसमें बताया जाए कि प्रस्तावित निर्माण किन-किन हाथी कॉरिडोरों से होकर गुजर रहा है. इसके अलावा, अदालत ने अधिकारियों को अगली सुनवाई तक किसी भी पेड़ को काटने से रोक दिया है.

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साथ ही, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को पर्यावरणीय नियमों का अनुपालन साबित करने का निर्देश दिया गया है. इसमें वन संरक्षण अधिनियम के तहत आवश्यक मंजूरी, प्रतिपूरक वनीकरण योजना का विवरण और इस योजना के लिए आवंटित धनराशि का प्रमाण शामिल होगा. कोर्ट ने पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन (EIA) की भी मांग की है, जिससे इस परियोजना से होने वाले इकोलॉजी नुकसान का सही आकलन किया जा सके. 
 

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