उत्तराखंड के जंगल पिछले कई दिनों से धू-धूकर जल रहे हैं. जंगल में लगी आग इतनी भीषण है जिसे बुझाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है. आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं. इस बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी जंगलों में लगी आग को लेकर स्वतः संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट ने इस मामले को लेकर प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ.) को कोर्ट में पेश होने को कहा है. इस मामले पर बुधवार सुबह सुनवाई हो सकती है.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने जंगलों में आग को पर्यावरण और इंसानों के लिए बड़ा खतरा माना है. एडवोकेट दुष्यंत मैनाली ने बताया कि हाई कोर्ट ने जंगल के हालातों को लेकर सरकारी रवैये पर भी नाराजगी जताई है.
हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि हर साल होने वाली इन घटनाओं को रोकने के लिए स्थाई व्यवस्थाएं लागू क्यों नहीं की जाती हैं? कोर्ट ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई है कि कोरोना के दौर में लोगों को वैसे ही सांस लेने में दिक्कत आ रही है. ऐसे में जंगल की आग का धुआं उनके लिए और घातक साबित हो सकता है.
आग बुझाने के लिए एयरफोर्स की मदद
उत्तराखंड के जंगलों में बढ़ती आग को रोकने के लिए एयरफोर्स की मदद भी ली जा रही है. आग पर काबू पाने के लिए MI-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है. एयरफोर्स की तरफ से ऐसे दो हेलीकॉप्टर भेजे गए हैं. एक कुमाऊं रीजन के लिए और एक गढ़वाल रीजन के लिए. हालांकि, अब आग बढ़ती ही जा रही है, जिससे इलाकों में विजिबिलिटी भी कम हो रही है. इससे एयरफोर्स को ऑपरेशन चलाने में दिक्कत भी आ रही है. कम विजिबिलिटी की वजह से मंगलवार को कुमाऊं रीजन में एयरफोर्ट का ऑपरेशन चलाया ही नहीं जा सका.
वहीं, उत्तराखंड में आग की वजह से पिछले 24 घंटे में 125 हेक्टेयर जंगल राख में बदल चुके हैं. जबकि अब तक कुल 1,400 हेक्टेयर के जंगल जलकर राख हो चुके हैं. 1 से लेकर 5 अप्रैल के बीच ही जंगलों में आग के 261 नए मामले सामने आए हैं.