उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के बाद बीमारियां फैलने की आशंका के मद्देनजर स्वदेशी तकनीक पर आधारित वाटर प्यूरीफायर राज्य के करीब 50,000 घरों के लिए पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के मकसद से लगाए जाएंगे.
‘सेंट्रल साल्ट मरीन एंड केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (सीएसएमसीआरआई) की ओर से विकसित तकनीक पर आधारित करीब 23 वाटर प्यूरीफाइंग इकाइयां उत्तराखंड में जल्द स्थापित की जाएंगी. सीएसएमसीआरआई के निदेशक डॉक्टर पुष्पितो घोष ने बताया, ‘हमारा एक लाइसेंसधारी जल्द ही उत्तराखंड में 23 प्यूरीफाइंग इकाइयां स्थापित करेगा जो 5,000 से 7,000 लीटर पीने योग्य पानी प्रतिघंटे उपलब्ध करा सकेंगी.’
उत्तराखंड में पिछले महीने आई प्राकृतिक आपदा के बाद पानी से फैलने वाली बीमारियों की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि अब भी बड़े पैमाने पर शवों का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा, ‘इन इकाइयों को टिहरी और रुद्रप्रयाग में स्थापित किया जाना है. इनके जरिए करीब डेढ़ से दो लाख लीटर पानी को प्रति दिन पीने योग्य बनाया जा सकेगा. इससे करीब 50,000 घरों की पानी की जरूरत पूरी हो सकेगी.’