उत्तराखंड के गौरव अब देश का मस्तक भी ऊंचा कर रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और डीजीएमओ के बाद अब थल सेना प्रमुख और रॉ चीफ के पद पर उत्तराखंड के वीर सपूतों का नियुक्त होना एक बार फिर ये साबित करता है कि उत्तराखंड वीरों की धरती है. उत्तराखंड के वीर सपूतों ने मौका पड़ने पर हमेशा अपनी बहादुरी से प्रदेश के साथ ही देश का भी मस्तक गर्व से ऊंचा किया है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार–अजित डोभाल
डोभाल के बारे में कहा जाता है कि वे एक ऐसे भारतीय हैं, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करता. एक ऐसा जासूस जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो. डोभाल भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं, जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.
1968 में आईपीएस में हुआ सिलेक्शन
अजित डोभाल उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए.. कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए.
6 साल पाकिस्तान में रहे अंडरकवर एजेंट
2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं. डोभाल सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं. वह 6 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट रहे हैं. डोभाल ने पूर्वोत्तर में अंडर कवर आपरेशन चलाकर आतंकवादी कमांडरों से सरेंडर कराया था. ऑपरेशन ब्लूस्टार के 4 साल बाद 1988 अमृतसर के गोल्डन टेम्पल मे पंजाब पुलिस की सहायता की. मंदिर मे आईएसआई के एजेंट बनकर घुसे और पुलिस को भीतर की मैपिंग करवाई. डोभाल ने म्यांमार स्ट्राइक में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जनवरी 2016 में हुए पठानकोट आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन को डोभाल ने सफलतापूर्वक लीड किया. हाल ही में कमांडो सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग में डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी.
डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन–अनिल कुमार भट्ट
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) के पद पर उत्तराखंड का मान बढ़ा रहे हैं. मूल रुप से अनिल कुमार भट्ट टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं और वे लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह की जगह डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) नियुक्त किए गए हैं. टिहरी गढ़वाल के बाद उनका परिवार लंबे समय से मसूरी में रह रहा है. भट्ट ने मसूरी के हेपटनकोर्ट से शुरुआती शिक्षा ली और 12वीं तक की पढ़ाई कान्वेंट स्कूल सेंट जार्ज कॉलेज से पूरी की.
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ–लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत
उत्तराखंड के एक और लाल ने प्रदेश का मान बढ़ाया है. लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत देश के नए आर्मी चीफ होंगे. वह इस समय थलसेना के सहसेनाध्यक्ष हैं. रावत जनरल दलबीर की जगह सेना प्रमुख बने हैं. रावत मूल रुप से पौड़ी-गढ़वाल के रहने वाले हैं. अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत इस पद पर पहुंचे हैं. इससे पहले उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर्ड हुए थे. उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट भी रहे. वहीं, जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद भी संभाला.
गोरखा राइफल्स से शुरू हुआ सेना का सफर
11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जनवरी 1979 में कमीशन लेने वाले ले. जनरल बिपिन रावत का सेना का सफर उपलब्धियां भरा रहा है. वह दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें 'स्वार्ड ऑफ ऑनर' मिला. लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से अलंकृत किए गए हैं.
कांगो में संभाली मल्टीनेशन ब्रिगेड की कमान
कांगो में मल्टीनेशन ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ ही वह यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल व फोर्स कमांडर भी रह चुके हैं. सेना में कई अहम पद संभालने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके लेख विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं. मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है.
रॉ(रिसर्च एंड एनालिसिस विंग)–अनिल धस्माना
उत्तराखंड के एक और लाल ने प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. रॉ के अगले चीफ अनिल धस्माना होंगे. धस्माना मूल रुप से पौड़ी के रहने वाले हैं. अनिल धस्माना 1981 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वह लंदन और फ्रैंकफर्ट सहित प्रमुख स्थानों पर अपनी सेवांए दे चुके हैं और सार्क और यूरोप डेस्क भी संभाल चुके हैं. उन्हें आतंकवाद का मुकाबला करने और इस्लामी मामलों पर एक विशेषज्ञ के रूप में माना जाता है. साथ ही उन्हें पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर व्यापक अनुभव भी है. धस्माना एनएसए अजीत डोवल के विश्वासपात्र भी माने जाते रहे हैं, ऐसा अक्सर चर्चाओं में रहा. धस्माना के करीबी लोगों का मानना है कि वह एक असाधारण क्षमता वाले व्यक्ति है और इस क्षेत्र में एक व्यापक नेटवर्क है.