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नितिन गडकरी से मिले त्रिवेंद्र रावत, एनएच 74 के भ्रष्टाचार मामले पर हुई बात

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाक़ात की. दोनों नेताओं ने एनएच 74 के निर्माण के भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच के आदेश को लेकर भी बातचीत की.

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नितिन गडकरी और त्रिवेंद्र रावत
नितिन गडकरी और त्रिवेंद्र रावत

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाक़ात की. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और नितिन गडकरी ने चारधाम आल वेदर रोड को निर्धारित समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा करने, हरिद्वार और देहरादून रिंग रोड बनाने, उत्तराखंड की 22 सड़कों को एनएच बनाने पर और हरिद्वार में ट्रैफिक जाम से निज़ात के लिए एलिवेटिड रोड बनाने को लेकर बातचीत की. दोनों नेताओं ने एनएच 74 के निर्माण के भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच के आदेश को लेकर भी बातचीत की.

दरअसल एनएच 74 निर्माण के लिए जो ज़मीन अधिग्रहीत की गई थी, उसमें भ्रष्टचार का मामला सामने आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने 11 मार्च को इस मामले से सम्बंधित अधिकारियों और एनएचएआई के अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई थी.

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गडकरी ने रावत को लिखा था लेटर
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य की सत्ता सम्भालते ही इस मामले के सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे. सीबीआई जांच के आदेश के बाद सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को 5 अप्रैल, 2017 को पत्र लिखा था कि एनएच 74 निर्माण में जो ज़मीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार का मामला बनता है, उसमें एनएचएआई के अधिकारियों का कोई सम्बंध नहीं हैं, क्योंकि ज़मीन अधिग्रहण राज्य सरकार के अधिकारी कलेक्टर और स्टेट रेवेन्यू डिपार्टमेंट मिलकर देखते हैं. इसमें एनएचएआई के अधिकारियों का कोई रोल नहीं होता है. इसलिए एनएचएआई के अधिकारियों पर इस मामले में जांच से काम पर असर पड़ेगा.

सूत्रों की मानें तो गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में नितिन गडकरी के दफ़्तर में एनएचआई के अधिकारियों से भी बात की. एनएचएआई के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पूरे केस पर ब्रीफ़ किया और बताया कि इस मामले ये देखा जाना चाहिये कि जांच का मामला एनएचएआई के अधिकारियों पर बनता है या नहीं. उत्तराखंड सरकार इस मामले में प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिकारण में हुए करप्शन पर जांच चाहती है. मंत्रालय का कहना है कि नेशनल हाइवे के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए एनएचएआई भूमि अधिग्रहण नहीं करती है.

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भूमि अधिग्रहण का काम डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और रेवेन्यू अधिकारी मिलकर करते हैं, इसलिए अगर करप्शन का मामला बनता है तो राज्य स्तर पर बनता है. मंत्रालय का कहना है कि इसके बाद भी अगर उत्तराखंड सरकार को लगता है कि इस मामले उनके अधिकारियों की मिलीभगत है तो सीबीआई जांच हो, लेकिन उनको जांच के नाम पर लोकल पुलिस परेशान नहीं करे, नहीं तो अधिकारी लोकल पुलिस के पूछताछ के चक्कर में रह जाएंगे.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नितिन गडकरी और एनएचएआई के अधिकारियों से मुलाक़ात के बाद कहा कि हम करप्शन पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर काम करते हैं. उन्होंने कहा कि एनएच मामले की जांच के फ़ैसले पर कोई पुनर्विचार नहीं किया जाएगा, दोषियों को सज़ा मिलेगी और अगर किसी भी अधिकारी ने भ्रष्टाचार किया है तो छोड़ा नहीं जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि गडकरी जी का भी यहीं कहना है कि कोई भी भ्रष्टाचारी हो, बचना नहीं चाहिए.

उन्होंने ये भी कहा कि एनएचएआई के अधिकारियों ने उन्हें बताया है कि उनके अधिकारियों का इसमें सीधा मामला बनता नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस पूरे मामले में क़ानूनी सलाह लेंगे.

 

एक बात साफ़ है कि यह मामला भ्रष्टाचार से ज़्यादा उत्तराखंड और केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय के बीच नाक का सवाल ज़्यादा बनता जा रहा है. विपक्ष आने वाले दिनो में इस मामले में सवाल ज़रूर खड़े कर सकता है.

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