कभी उत्तराखंड के मंत्री रह चुके रमेश निरंजन को गरीबी की वजह से फुटपाथ पर खिलौने और चूड़ियां बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. 2006 में नारायणदत्त तिवारी सरकार में निरंजन गन्ना विकास सलाहकार समिति के सदस्य थे.
'गंदी राजनीति' का शिकार बने दलित-कांग्रेसी नेता निरंजन झांसी के एक किसान और कांग्रेसी समर्थक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. 1980 में निरंजन हरिद्वार आ गए. 11 महीने गन्ना विकास सलाहकार समिति के सदस्य बने रहने के बाद निरंजन एक साजिश का शिकार बने, जिसके बाद उन्हें और उनके कुछ सलाहकारों को दिसंबर 2006 में भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया गया.
निरंजन ने गन्ना विकास समिति के 33 कर्मचारियों को एक साथ सस्पेंड कर दिया था, जिसके चलते उच्च अधिकारी उनसे खफा हो गए थे. उन्होंने कहा, 'मैंने निरीक्षण के दौरान पाया था कि 33 कर्मचारी बिना किसी कारण अनुपस्थित थे तो मैंने उन्हें सस्पेंड कर दिया था.'
उन्होंने कहा, 'कुछ बड़े नेताओं के साथ दुश्मनी के चलते मुझे मेरे पद से हटा दिया गया. मैंने समाज की सेवा करने का जिम्मा उठाया था तो मैं अपने खुद के खर्चे पर लोगों से मिला और उनकी समस्याओं का समाधान किया.'
सरकार से उन्हें 10-12 लाख रुपये रीम्बर्समेंट मिलने थे, वो भी उन्हें नहीं मिला. इसीलिए उन्होंने अपना खुद का काम शुरू किया.