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5 नवंबर को केदारनाथ पहुंचेंगे पीएम मोदी, आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति का करेंगे अनावरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करेंगे. इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार और भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है. इसका ​एक साथ देशभर के 87 लोकेशन पर लाइव प्रसारण होगा.

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Kedarnath
Kedarnath
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करेंगा पीएम
  • 5 नवंबर को केदारनाथ पहुंचेंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करेंगे. पीएम मोदी केदारनाथ के शीतकाल के कपाट बंद होने से एक दिन पहले केदारनाथ पहुंच रहे हैं. इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार और भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है. इसका ​एक साथ देशभर के 87 लोकेशन पर लाइव प्रसारण होगा. ये सभी जगह सनातन धर्म और आदि गुरू शंकराचार्य से जुड़े धार्मिक स्थल भी होंगे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में केदारनाथ पुनर्निर्माण में आदिगुरु शंकराचार्य के समाधिस्थल का पुनर्निर्माण भी शामिल है. 20 अक्तूबर 2017 को केदारनाथ पहुंचकर पीएम मोदी ने पहले चरण के पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था. तब, उन्होंने धाम में आदिगुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल भव्य व दिव्य बनाने की बात कही थी. इसी के तहत नवंबर 2019 से तीन चरणों में समाधि स्थल का कार्य शुरू किया गया. इसके दूसरे चरण का काम लगभग पूरा हो गया है. वहीं, अब समाधिस्थल में आदिगुरु शंकराचार्य की 35 टन वजनी मूर्ति को भी स्थापित कर दिया गया है. इस मूर्ति को अभी कपड़े से ढका गया है. नवंबर 2019 से तीन चरणों में समाधि स्थल का कार्य शुरू किया गया. आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति समाधि स्थल पर 12 फीट ऊंची और 35 टन वजनी है जो कि कर्नाटक में बनाई गई है. इसे सितंबर में चिनूक से लाया गया था. 

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आदि गुरु शंकराचार्य ने 32 वर्ष की उम्र में केदारनाथ में महापरायण मोक्ष प्राप्त किया था. इस लिहाज से केदारनाथ और आदि गुरु शंकराचार्य का पौराणिक महत्व है. पांडवों द्वारा निर्मित केदारनाथ मंदिर की व्यवस्था और सनातन धर्म के लिहाज से नए स्वरूप में लाने का श्रेय भी आदि शंकराचार्य को ही जाता है. आपदा से पहले आदि गुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल पर मंदिर और स्फटिग लिंग लगवाया गया था, जो कि आपदा में ध्वस्त हो गया था. अब नए सिरे से मूर्ति के दर्शन के लिए और परिक्रमा के लिए परिसर को भव्य रुप दिया गया है, जिसमें मूर्ति के दर्शन के लिए अंडरग्राउंड नीचे से वन वे रास्ता दिया गया है.

 

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