उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित चारधाम देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने की मांग को लेकर मौन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रविवार को उनके विरोध प्रदर्शन का तीसरा दिन है. तीर्थ पुरोहित मंदिर के बाहर मौन बैठ गए हैं और उनकी मांग है कि जब तक देवस्थानम बोर्ड को रद्द नहीं किया जाता, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
केदारनाथ धाम में पुजारियों-तीर्थ पुरोहितों के मौन विरोध प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है. केदारनाथ धाम के पुजारी का कहना है कि सरकार जब तक देवस्थानम बोर्ड को खत्म नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
जनवरी 2020 में उत्तराखंड सरकार ने चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था. इसके साथ ही चार धाम समेत 51 अन्य मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था. उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं. इसके खिलाफ पिछले साल बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. उनका कहना था कि देश में मस्जिद, चर्च समेत दूसरे धार्मिक स्थलों का नियंत्रण सरकार के पास नहीं है, तो फिर मंदिरों का नियंत्रण ही सरकार के पास क्यों?
इसी देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने की मांग को लेकर केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों और पुजारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. अगर बोर्ड को जल्द से जल्द निरस्त नहीं किया जाता है तो एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
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गुप्तकाशी में तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर आज तक हक हकूकधारी विभिन्न स्थानों पर विरोध दर्ज करा रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उनका दावा है कि बिना हक हकूकधारी और तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए इस बोर्ड का गठन किया गया. तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने बोर्ड पर पुनर्विचार के लिए एक बयान जारी किया था, लेकिन अभी तक उस दिशा में कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया गया है. पुजारियों का कहना है कि बोर्ड के लागू होते ही स्थानीय लोगों और हक हकूकधारियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया जाएगा. इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बोर्ड को निरस्त करने के बजाय इसका लगातार विस्तारीकरण किया जा रहा है.
विरोध से पहले पंच पंडा रूद्रपुर श्री केदारनाथ सभा ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार हिन्दू विरोधी है. बिना हक हकूकधारियों को विश्वास में लिए बोर्ड का गठन किया जाना चार धामों के लिए विनाशकारी कदम है. केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से लेकर अभी तक उदक कुंड समेत कई अन्य धार्मिक मंदिरों का निर्माण नहीं किया गया, जबकि सरकार का ध्यान महज देवस्थानम बोर्ड के विस्तारीकरण में लगा है. जब तक बोर्ड को सरकार निरस्त नहीं करती है, तब तक केदारनाथ धाम में मौन विरोध लगातार जारी रहेगा.