
पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर पद एवं गोपीनयता की शपथ ले ली है. पुष्कर सिंह धामी के साथ अन्य 8 विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. इनमें से एक मात्र महिला विधायक रेखा आर्य को कैबिनेट में शामिल किया गया है. रेखा आर्य तीसरी बार विधायक चुनी गईं हैं. इसके अलावा तीन कैबिनेट मंत्री दूसरी बार, एक तीसरी बार जबकि तीन विधायक चौथी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
रेखा आर्य- तीसरी बार बनी हैं विधायक
रेखा आर्य सोमेश्वर विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक बनी हैं. 2014 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में रेखा आर्य कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बनी थीं. इसके बाद रेखा ने 2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा ने रेखा को उम्मीदवार बनाया और वे 2017 में दोबारा जीतीं. 2022 में भाजपा ने एक बार फिर रेखा पर भरोसा जताया था. इस बार चुनाव जीतकर रेखा तीसरी बार विधायक बनी.
रेखा आर्य का जन्म 9 मई 1978 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम सुनाड़ी में हुआ था. उनके पिता का नाम गोपाल राम और पति का नाम गिरधारी लाल साहू है. रेखा आर्य ने कुमाऊ यूनिवर्सिटी अल्मोड़ा से एमकॉम करने के बाद बीएड किया है. जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होकर अपने सियासी सफर की शुरुआत करने वाली रेखा आर्य पूर्व की सरकार में भी मंत्री रही हैं.
चंदन राम दास चौथी बार चुने गए हैं विधायक
बागेश्वर विधानसभा सीट पर चंदन राम दास का अच्छा खासा दबदबा है. 2007 में भाजपा के टिकट पर चंदन राम दास पहली बार बागेश्वर विधानसभा सीट से विजयी हुए, फिर 2012 में दोबारा विधायक बने. 2017 में उन्होंने तीसरी बार जीत हासिल करके रिकॉर्ड बनाया. अब चौथी बार भी चुनाव जीतकर वे विधानसभा पहुंचे हैं.
बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास का जन्म 10 अगस्त 1957 को हुआ था. उन्होंने एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी से स्नातक किया है. चंदन राम दास 1997 में बागेश्वर में निर्दलीय नगर पालिकाध्यक्ष निर्वाचित हुए. उसके बाद वे कांग्रेस के साथ जुड़े मगर 2006 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया.
दूसरी बार विधायक चुने गए हैं सतपाल महाराज
सतपाल महाराज के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस से इसकी शुरुआत की. 1989 में पौड़ी गढ़वाल सीट से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा. इसमें उन्हें हार मिली. 1996 में उन्होंने भुवन चंद्र खंडूरी को मात दी और पहली बार सांसद बने. सतपाल महाराज 1996 में केंद्र की संयुक्त मोर्चा की देवगोड़ा सरकार में रेल राज्य मंत्री रहे. वे इंद्र कुमार गुजराल की केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री भी रहे. महाराज ने 1998, 1999 और 2004 में पौड़ी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2009 में सतपाल महाराज पौड़ी से लोकसभा चुनाव जीते और रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष बनाए गए.
2002 में उत्तराखंड में एनडी तिवारी की सरकार बनने के बाद उन्हें 20 सूत्रीय कार्यक्रम का अध्यक्ष बनाया गया. सतपाल महाराज 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद 2017 विधानसभा चुनाव में सतपाल महाराज को चौबट्टा खाल विधानसभा सीट से टिकट मिला. इसमें उन्होंने जीत हासिल की. सतपाल महाराज को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. महाराज इस बार भी चौबट्टा खाल से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
चौथी बार चुनाव जीते हैं सुबोध उनियाल
नरेंद्रनगर विधानसभा सीट के लिए साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उतरे सुबोध उनियाल विजयी रहे थे. 2007 के चुनाव में सुबोध को मात खानी पड़ी. 2007 में यूकेडी के ओम गोपाल, सुबोध उनियाल को शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचे. 2012 के चुनाव में सुबोध उनियाल ने 2007 की हार का बदला ले लिया और कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए.
नरेंद्रनगर विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में समीकरण बदले. 2012 में कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए सुबोध उनियाल पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने सुबोध उनियाल को विधायकी का टिकट भी दिया और वे जीतकर नरेंद्रनगर सीट से तीसरी बार विधानसभा पहुंचे. 2022 में भी सुबोध उनियाल चुनाव जीतकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे.
तीसरी बार विधायक चुने गए हैं गणेश जोशी
मसूरी विधानसभा सीट से बीजेपी के गणेश जोशी विधायक हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी गणेश जोशी इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे. मसूरी विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने अपने निवर्तमान विधायक गणेश जोशी पर ही भरोसा बरकरार रखा. 2022 के चुनाव में भी भाजपा ने उनपर भरोसा जताया जिसे गणेश जोशी ने बरकरार रखा.
चौथी बार विधायक चुने गए हैं प्रेम चंद अग्रवाल
ऋषिकेश विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. ऋषिकेश विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रेमचंद अग्रवाल लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं. ऋषिकेश विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो बार के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल पर ही दांव लगाया. बीजेपी के प्रेमचंद के सामने कांग्रेस ने राजपाल सिंह को चुनावी रणभूमि में उतारा. बीजेपी के प्रेमचंद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के राजपाल को करीब 15 हजार वोट के अंतर से हरा दिया था.
दूसरी बार विधायक चुने गए हैं सौरभ बहुगुणा
सितारगंज विधानसभा सीट से 2012 में विजय बहुगुणा विधायक निर्वाचित हुए थे. 2017 में विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा चुनावी बाजी जीतकर विधानसभा पहुंचे. सितारगंज विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा को उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी के सौरभ बहुगुणा के सामने कांग्रेस ने मालती विश्वास को 28 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. 2022 में भी सौरभ पर भाजपा ने भरोसा जताया और उन्हें सितारगंज से उम्मीदवार बनाया था.
दूसरी बार विधायक चुने गए हैं धन सिंह रावत
धन सिंह रावत का जन्म 7 अक्टूबर, 1971 के दिन गढ़वाल जिले के नौगांव नाम के गांव में हुआ था. कम उम्र में ही धन सिंह रावत का झुकाव समाज सेवा की ओर होने लगा था. 1989 में ही धन सिंह रावत ने स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस ज्वाइन की थी. धन सिंह ने छुआछूत व्यवस्था, बाल विवाह और शराब के खिलाफ अभियान चलाया था. राम जन्मभूमि मूवमेंट के दौरान भी धन सिंह ने सक्रिय रूप से भाग लिया था. इसके लिए उन्हें जेल भी हुई थी.
धन सिंह रावत को पहली बार 2017 में भाजपा ने श्रीनगर विधानसभा से उम्मीदवार बनाया था. चुनाव जीतकर धन सिंह रावत पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. पहली बार ही वह राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए. धन सिंह रावत ने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल की है.
अपने नाम के पीछे की कहानी के बारे में एक इवेंट में बताते हुए धन सिंह रावत ने बताया कि उनका नाम धन इसलिए पड़ा क्योंकि उनके पिता ने उनकी मां को 50 रुपए का मनी ऑर्डर भेजा था. जो इत्तेफाक से उनकी मां को उसी दिन प्राप्त हुआ था जिस दिन उनका जन्म हुआ था. इसलिए उनका नाम मनी के हिंदी शब्द 'धन' पर पड़ गया.
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