अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election) से पहले राज्य को एक बार फिर से नया मुख्यमंत्री (New Chief Minister) मिला है. बीजेपी विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. उन्होंने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के सामने दावा भी पेश कर दिया, जिसके बाद वे रविवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) की जगह लेने वाले 45 वर्षीय धामी सबसे कम उम्र के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री होंगे. तीरथ सिंह को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह सीएम बनाया गया था और वे इस पद पर चार महीने से भी कम समय तक रह सके. मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि वे चुनौती स्वीकार करते हैं और पार्टी को आगे ले जाएंगे.
'पार्टी ने एक आम कार्यकर्ता को किया नियुक्त'
उन्होंने कहा, ''मेरी पार्टी ने एक पूर्व सैनिक के बेटे और एक आम कार्यकर्ता को नियुक्त किया है, जो सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में लोगों की सेवा के लिए पैदा हुआ था.'' उधम सिंह नगर जिले के खटीमा से दो बार के विधायक धामी ने कहा, "हम सभी के सहयोग से लोगों के मुद्दों पर काम करेंगे. मैं पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाऊंगा." चूंकि, धामी अगले विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले कार्यभार संभाल रहे हैं, उनकी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी को एक और जीत की ओर ले जाना और उत्तराखंड में सत्ता बनाए रखना होगी.
'हम स्वीकार करते हैं चुनौती'
कम समय के भीतर दो बार मुख्यमंत्रियों को बदलने के बाद विपक्षी कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है. कांग्रेस ने राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने और लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया है. वहीं, यह पूछे जाने पर कि क्या विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री का पद संभालना एक चुनौती होगी, पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हम चुनौती स्वीकार करते हैं. पार्टी को आगे बढ़ाएंगे और लोगों की सेवा करेंगे." इसके अलावा, नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने उन पर विश्वास जताने के लिए पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद दिया और आश्वासन दिया कि वह सभी के सहयोग से काम करेंगे.
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केंद्रीय पर्यवेक्षकों संग राजभवन गए धामी
पुष्कर सिंह धामी के नाम का प्रस्ताव तीरथ सिंह रावत और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक ने किया था. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में मौजूद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई विधायकों ने इसका समर्थन किया. बीजेपी ने पार्टी मुख्यालय में शनिवार दोपहर को विधायकों की बैठक बुलाई थी. तोमर ने कहा कि किसी अन्य नाम का प्रस्ताव बीजेपी विधायक दल के नेता ने नहीं किया. विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद, धामी सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करने के लिए कई विधायकों और केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ राजभवन गए.
'संवैधानिक संकट' के चलते तीरथ ने दिया इस्तीफा
बीजेपी ने 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था. पार्टी नए चेहरे के साथ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जाने वाली थी, लेकिन उसे फिर से एक और नया चेहरा लाना पड़ा. इसके पीछे की वजह संवैधानिक संकट खड़ा होना बताया गया है. चूंकि, तीरथ सिंह रावत लोकसभा के सदस्य हैं, इस वजह से उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा पहुंचना था. पहले माना जा रहा था कि उप-चुनाव के जरिए वे विधानसभा पहुंच जाएंगे, लेकिन कोरोनाकाल ने राज्य में उप-चुनाव करवाने की संभावना को काफी कम कर दिया. ऐसे में तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने के बाद शुक्रवार देर रात इस्तीफा दे दिया.