चारधाम की यात्रा और उत्तराखंड में प्रदूषण को रोकने के लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा आदेश दिया है. उत्तराखंड के चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस मनोज तिवारी की कोर्ट ने आदेश दिया है कि केदारनाथ रूट की तरह पूरे राज्य में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों पर क्यूआर कोड लगाया जाए.
इसके साथ ही कोर्ट ने डिजिटल डिपॉजिट सिस्टम के तहत पैकेजिंग और बोतलों को वापस करने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि वापस किए जाने की स्कीम पूरे प्रदेश में लागू करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि यह क्यूआर कोड निर्माता के स्तर पर ही लगवाने के लिए राज्य सरकार आदेश जारी करे ताकि उत्तराखंड में आने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रोडक्ट पर पहले से ही QR-code लगा हो. इसे मैटीरियल रिकवरी सेंटर में दिखाने पर और पैकेजिंग, बोतल वापस करने पर लोगों को प्रोत्साहन धनराशि वापस की जा सके.
स्वच्छता कर्मियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था: हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी स्वच्छता कर्मियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस और सभी कूड़ा वाहनों पर जीपीएस लगाकर उनकी ट्रैकिंग ऐप के माध्यम से सुनिश्चित करें.
शहरी विकास निदेशक और पंचायती राज निदेशक को इस संबंध में अनुपालन आख्या प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि 18 जून को रविवार को पूरे प्रदेश की न्यायपालिका, हाई कोर्ट, जिला कोर्ट और मजिस्ट्रेट कोर्ट तक सभी जज और कर्मचारी पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाएंगे. राज्य सरकार को भी इसमें सहयोग देने के लिए कहा गया है.
कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, हेमकुंड साहिब में कूड़ा निस्तारण के संबंध में पाई गई गंभीर खामियों और सुझाए गए उपायों को तुरंत लागू करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं.
कमर्शियल वाहनों में डस्टबिन अनिवार्य: हाई कोर्ट
कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी आदेश दिया है कि सभी कमर्शियल वाहन और उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले यात्री वाहनों में, पर्यटकों के वाहनों में डस्टबिन लगाना सुनिश्चित करें और इसे परमिट की अनिवार्य शर्त के रूप में लागू किया जाए. ट्रैफिककर्मी और पुलिस के संबंधित सेक्शन को सर्कुलर के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का भी आदेश दिया है.
कोर्ट ने स्वच्छता मैप और हाई कोर्ट द्वारा जारी की गई ईमेल आईडी जिस पर कूड़ा निस्तारण के संबंध में शिकायत की जा सकती है. उसका व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को कहा है. सड़कों के किनारे जमा कूड़ा युद्ध स्तर पर हटाने के भी सख्त निर्देश दिये गए हैं. आदेश दिए जाने के बाद उस पर कार्रवाई की रिपोर्ट देने को भी कहा गया है.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि नियम सिर्फ कागज में ही लागू हो रहे हैं और धरातल पर कोई भी योजना काम नहीं कर रही है. बता दें कि जितेंद्र यादव की याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है जिसमें राज्य में प्लास्टिक को लेकर हाईकोर्ट सख्त है. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.