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सुरंग से 41 लोगों को निकालने वाले रैट माइनर्स की मांग- स्थायी नौकरी दे राज्य सरकार

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे एक रैट माइनर जतिन कश्यप ने आजतक से बातचीत में कहा कि इन सभी रैट माइनर्स की मांग है कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए. जतिन ने कहा कि सभी रैट माइनर्स नौकरी के तलाश में हैं.

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रैट-होल माइनर्स ने इनाम लेने से किया इनकार.
रैट-होल माइनर्स ने इनाम लेने से किया इनकार.

उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रैट होल माइनर्स को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इनाम दिया. ऐसे में एक रैट माइनर जतिन कश्यप ने आजतक से बातचीत में कहा कि इन सभी रैट माइनर्स की मांग है कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए.

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जतिन ने कहा कि सभी रैट माइनर्स नौकरी के तलाश में हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार द्वारा दिया गया चेक उनके पास है लेकिन अभी चेक एनकैश करेंगे या नहीं इस पर कुछ नहीं कहा है. 

'हमने बिना शर्त बचाई श्रमिकों की जान'

रैट होल माइनिंग की टीम को नेतृत्व करने वाले हसन ने कहा कि जब मशीनें फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने में विफल थीं, तब हमने बिना किसी शर्त के अपने जीवन को खतरे में डालते हुए मलबे में मैन्युअल रूप से ड्रिलिंग की. हम मुख्यमंत्री के कदम की सराहना करते हैं. ऑपरेशन में मदद करने वाले रैट-होल माइनर्स अपने लिए स्थायी नौकरी राज्य सरकार से उम्मीद करते हैं. 

'घर या नौकरी मिलने की उम्मीद'

उन्होंने आगे कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए हम सचमुच मौत के मुंह में चले गए. हमने अपने परिवार के सदस्यों की बात नहीं सुनी क्योंकि, मानव जीवन को बचाना था. हम सरकार से एक स्थायी नौकरी या रहने के लिए घर मिलने की उम्मीद करते हैं.

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बता दें कि 17 दिनों बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जान बचाने 12 रैट होल माइनर्स को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पचास हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया था. 

'जान बचाना नेक काम'

गुरुवार को मुख्यमंन्त्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर सिलकयारा टनल मे हीरो रहे रेट माइनर्स का सम्मान समारोह रखा गया. जिसमें रैट माइनर्स को 50-50 हजार राशि के चेक से सम्मानित किया गया, लेकिन रैट माइनर हसन कुरेशी ने इसे लेने से इनकार कर दिया था. बाद में रैट माइनर्स ने इसे स्वीकार किया और अपने-अपने घर को लौट गए. बता दें कि सफल रेस्क्यू के बाद भी रैट माइनर्स ने रेस्क्यू के लिए फीस लेने से भी इंकार किया था। उनका मानना था की जान बचाना बड़ा नेक काम है.

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