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नैनीताल में Republic Day की धूम, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने ली परेड की सलामी

आज भारत का 75वां गणतंत्र दिवस है. नैनीताल में भी इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मुख्य कार्यक्रम फ्लैट्स मैदान आयोजित किया गया. इसमें मुख्य अतिथि कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने झंडा फहराया. उन्होंने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं और बधाई दी. 

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गणतंत्र दिवस पर लोगों को संबोधित करते कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत.
गणतंत्र दिवस पर लोगों को संबोधित करते कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत.

आज भारत का 75वां गणतंत्र दिवस है. देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड के नैनीताल में भी इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस मौके पर मुख्य कार्यक्रम फ्लैट्स मैदान आयोजित किया गया. इसमें मुख्य अतिथि कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने झंडा फहराया. साथ ही पुलिस टुकड़ियों और एनसीसी कैडेट्स द्वारा की जा रही परेड का निरीक्षण किया. इसके बाद पुलिस दस्ता ने सशत्र बल के साथ सलामी दी.

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इस मौके पर दीपक रावत ने जिले में कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पवन मेलकानी, डॉ. विनीता टोलिया और किशोर सिंह बिष्ट को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं और बधाई दी. 

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रावत ने कहा कि संविधान तभी है, जब स्वाधीनता है. अगर स्वाधीनता नहीं होगी तो संविधान भी न होगा. हमें उन सभी महापुरुषों को नमन करना चाहिए, जिन्होंने संविधान निर्माण और स्वाधीनता में अपना योगदान दिया है. करीब 3 साल के मंथन के बाद 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ था.

Kumaon Commissioner Deepak Rawat

'जिस देश ने 200 वर्षों तक हम पर राज किया...'

उन्होंने आगे कहा कि भारत समय के साथ और अधिक मजबूत हुआ है. जिस देश ने 200 वर्षों तक हम पर राज किया, आज हमारे देश की इकोनॉमी ने उस देश को पीछे छोड़ दिया है. देश की अर्थ व्यवस्था मजबूत हुई है. ग्लोबल इंवेस्टर समिट में पीएम मोदी ने हाउस ऑफ हिमालयज का शुभारंभ किया है. इसके माध्यम से उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग, मार्केटिंग और इनको ग्लोबल स्केल पर पहुंचने की बात कही गई है.

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रावत ने आगे कहा कि पिछले दिनों कैबिनेट ने भी इसको कंपनी बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. हम सभी इसमें अपने-अपने स्थानीय उत्पादों के माध्यम से अपना योगदान दे सकते हैं. इससे हमारी आर्थिकी और मजबूत होगी. बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि संविधान चाहें कितना ही अच्छा क्यों न हो, अगर उसको कार्यान्वित करने वाले लोग बुरे हैं, तो संविधान अच्छा नहीं हो सकता.

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