उत्तराखंड के रुड़की में एक अंडर कंस्ट्रक्शन ब्रिज नहर में समा गया. अचानक हुये इस हादसे ने राज्य के ब्रिज निर्माण से जुड़े सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हादसे में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.
बता दें कि यह पुल मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत बनवाया जा रहा था. ब्रिज विधायक प्रदीप बत्रा के प्रस्ताव पर पीर बाबा कॉलोनी को रुड़की रेलवे स्टेशन से जोड़ने के लिए बनवाया जा रहा था.
पानी बंद कर बांधा था अस्थायी पुल
इस पुल का शिलान्यास 2023 में मुख्यमंत्री ने किया था. लोक निर्माण विभाग (PWD) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. दरअसल, हाल ही में गंगनहर में पानी को अस्थायी रूप से बंद करने के बाद पुल निर्माण में तेजी आई थी, जिसके बाद ठेकेदार ने पुल का स्ट्रक्चर तैयार कर इसे नहर के ऊपर बांधा था. लेकिन, 30 अक्टूबर की रात को पानी आने के बाद पुल ढह गया.
पानी की गति से ढह गए कॉलम
PWD का कहना है कि पुल के ढहने से किसी प्रकार का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. एक तार खुलने की वजह से पुल नीचे गिरा. सभी सामान सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि पुल को VT कॉलम पर खड़ा किया गया था, लेकिन पानी की गति से कॉलम ढह गए.
दीवाली की छुट्टी के कारण नहीं थे मजदूर
इस मामले में PWD सचिव पंकज पांडेय ने प्राथमिक जांच के लिए एक टीम गठित की है. पुल गिरने के अन्य कारणों का पता लगाया जा रहा है.हालांकि दिवाली की छुट्टी होने के कारण कोई कर्मचारी यहां मौजूद नहीं था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. इससे पहले पिछले साल 12 नवंबर को दिवाली पर उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे ने पूरी दुनिया को हिला दिया था.
2021 में भी हो चुका है ऐसा ही हादसा
यह हादसा रुड़की में 2012 के एक पुल हादसे की याद दिलाता है, जब नगर-निगम के सामने बन रहे पुल का स्ट्रक्चर भी बह गया था और चार मजदूर उसकी चपेट में आ गए थे. उसी तरह 2023 में मॉनसूनी आफत से रुड़की का सोलानी पुल भी बह गया था, जिसकी वजह से निचले क्षेत्रों में बाढ़ ने कहर मचाया था. पीडब्लूडी सचिव डॉ. पंकज पांडेय ने समिति गठित कर जांच के आदेश दिए हैं.