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फ्लाईओवर से गुजर रहा था शख्स, चाइनीज मांझे की चपेट में आने से कट गया गला

उत्तराखंड के रुड़की में एक बाइक सवार के गले में चाइनीज मांझा फंस गया, इससे उसकी गर्दन कट गई. इस दौरान तुरंत राहगीरों ने बाइक सवार को प्राइवेट अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज बमुश्किल जान बचाई. यह घटना लक्सर फ्लाईओवर की है. शहर में चाइनीज मांझा प्रतिबंधित है, इसके बाद भी यह बेचा जा रहा है.

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चाइनीज मांझा.
चाइनीज मांझा.

उत्तराखंड के रुड़की जिले में लक्सर फ्लाईओवर ब्रिज पर एक ग्रामीण चाइनीज मांझे की चपेट में आ गया. इससे ग्रामीण का गला कट गया. घटना के बाद तुरंत लोग ग्राणीण को घायल हालत में अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज किया जा रहा है. बता दें कि चाइनीज मांझा प्रतिबंधित है, इससे बावजूद चोरी-छिपे इसकी बिक्री जारी है.

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ताजा घटना लक्सर के फ्लाईओवर ब्रिज के पास की है. यहां से गुजर रहे बाइक सवार युवक का गला चाइनीज मांझे की चपेट में आने के कारण कट गया. इस कारण ग्रामीण बुरी तरह घायल हो गया. पीड़ित ग्रामीण अकोढ़ा कलां निवासी जितेंद्र चौधरी है.

पीड़ित ग्रामीण.
पीड़ित ग्रामीण.

जितेंद्र के गले में जैसे ही चाइनीज मांझा फंसा तो उसकी गर्दन कट गई. इस दौरान उसने तुरंत बाइक रोकी और फौरन किसी तरह चाइनीज मांझे को अपनी गर्दन से निकाला. ग्रामीण को अन्य राहगीरों ने देखा तो तुरंत प्राइवेट अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टरों ने उसका इलाज कर बमुश्किल बचा लिया.

फिर भी बाज नहीं आ रहे लोग

लक्सर में इन दिनों पतंग में चाइनीज मांझे को लेकर पुलिस-प्रशासन सतर्क है. चाइनीज मांझे पर रोक लगाने को लेकर पुलिस पूरा जोर लगा रही है, इसके बावजूद कई असामाजिक तत्व इसका इस्तेमाल करने से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे लोगों की हरकतों का खामियाजा सड़कों से गुजरने वाले बेगुनाह राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है.

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बाजारों में चोरी-छिपे बिक रहा है तेजधार मांझा

ये तेजधार मांझा बाजार में चोरी-छिपे बिक रहा है. ये सूती धागे वाले मांझे की तुलना में काफी मजबूत होता है और इसकी डिमांड भी अधिक रहती है. सामान्य मांझा इस मेटल कोटेड मांझे की तुलना में कम खतरनाक होता है, लेकिन ये डिमांड में नहीं है. वजह ये है कि चीनी मांझा बनाने में प्लास्टिक या नायलॉन का उपयोग होता है.

पतंगबाजी में स्वदेशी मांझे को पटखनी देने वाला चाइनीज मांझा बाजार में भले ही चोरी-छिपे बेचा जा रहा हो, पतंग उड़ाने वाले इसे ही खरीदना चाहते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि वे ये बिल्कुल नहीं चाहते कि किसी कीमत पर उनकी पतंग कटे और उसे लूटा जा सके.

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