कार्बेट नेशनल पार्क के तहत पाखरो टाइगर सफारी और मोरघट्टी वन क्षेत्र में निर्माण के दौरान अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और पार्क क्षेत्र में कंक्रीट के निर्माण के मामले में उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को जिम्मेदार पाया गया है. सुप्रीम कोर्ट की सेंटर इंपावर्ड कमेटी(सीईसी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. फिलहाल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है.
अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को शीर्ष अदालत को सौंपी गई 94 पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी ने रावत और चंद को पखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में टाइगर सफारी और अन्य अवैध परियोजनाओं के संबंध में निर्माण गतिविधियों के लिए दोषी ठहराया.
चंद द्वारा की गई अनियमितताओं के लिए रावत को जिम्मेदार ठहराते हुए समिति ने सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट रावत को नोटिस जारी करे और उन्हें सुनवाई का मौका दें.
इसने अनियमितताओं में शामिल वन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी रखने के लिए उत्तराखंड सतर्कता विभाग को भी हरी झंडी दे दी है.
कमेटी ने कहा कि जब मीडिया पखरो और मोरघट्टी में हर तरह की गड़बड़ी की खबर दे रहा था, तब भी तत्कालीन चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
कथित अनियमितताओं के आरोप में वन रेंजर बृज बिहारी शर्मा और चांद को जेल भेज दिया गया है, जबकि तत्कालीन मुख्य वन्य जीव वार्डन झाबर सिंह सुहाग सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सुहाग रिटायरमेंट से पहले सस्पेंड भी हो गए थे.
उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में से एक रावत पिछली बीजेपी सरकार में वन मंत्री थे. उन्हें 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भगवा पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया था, जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए.