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उत्तराखंड: राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर नहीं बनेगी पक्की सड़क...सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी इजाजत

राजाजी टाइगर रिजर्व  के बीच से लालढांग-चिल्लरखाल रोड का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में आया. कोर्ट ने इस सड़क के एक अहम हिस्से को डामर यानी तारकोल वाली पक्की सड़क बनाने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि वो रिजर्व के बीच से रोड के निर्माण के बाघों की आवाजाही वाले कॉरिडोर में पक्की सड़क का निर्माण न करे.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

उत्तराखंड में अंधाधुंध विकास का नतीजा एक ओर जोशीमठ त्रासदी और दूसरी ओर राजाजी टाइगर रिजर्व  के बीच से लालढांग-चिल्लरखाल रोड का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में आया. कोर्ट ने इस सड़क के एक अहम हिस्से को डामर यानी तारकोल वाली पक्की सड़क बनाने से मना कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि वो रिजर्व के बीच से रोड के निर्माण के बाघों की आवाजाही वाले कॉरिडोर में पक्की सड़क का निर्माण न करे. कोर्ट ने ये निर्देश विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में जब टाइगर रिजर्व से सड़क गुजरने से वन्य जीवों की जीवन चर्या बिगड़ने की बात वाली याचिका आई तो कोर्ट ने इस बारे मे अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई. साथ ही इस लालढांग चिल्लर खाल पक्की सड़क के बनने से यहां पड़ने वाले असर की बाबत रिपोर्ट देने को कहा.

रिपोर्ट का सबसे अहम हिस्सा वो है जिसमें सिगड़ी सोट से चमरिया बेंड तक के हिस्से को बाघ और अन्य वन्य जीवों के रहवास और आवाजाही का मुख्य क्षेत्र मानते हुए सड़क को कच्ची ही रहने देने की सिफारिश की गई थी.वहां उस हिस्से में खासकर सबकुछ नैसर्गिक ही रहने देने की बात रिपोर्ट में कही गई थी. यानी पक्की डामर या तारकोल वाली सड़क न बनाने की सख्त हिदायत दी गई थी.  

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इस रिपोर्ट के आधार पर ही कोर्ट ने राज्य सरकार को किसी किस्म का कोई भी निर्माण न करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के आदेश पर बनाई गई कमेटी यानी एससीसी ने यह भी सिफारिश की थी कि गहन वन का ये क्षेत्र राजाजी और जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय बाघ अभयारण्यों में रहने वाले बाघों के साथ- साथ हिरण, जंगली सुअर, मृग  जैसे लंबी दौड़ लगाने वाले जानवरों और शिकार के लिए उनके पीछे भागने वाले बाघ, तेंदुओं और अन्य जंतुओं के भी आने जाने रहने और शिकार का मुख्य गलियारा है. सुप्रीम कोर्ट ने वकील गौरव बंसल और वन्य जीव संरक्षण कार्यकर्ता की जनहित याचिका 749/2022 पर सुनवाई करते हुए कमेटी बनाकर अध्ययन कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था.

 

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