उत्तराखंड में चल रहे राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल (AG) ने कहा कि सरकार फ्लोर टेस्ट के मुद्दे को लेकर काफी गंभीर है और समाधान के लिए थोड़ा वक्त चाहती है.
इसके पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की बेंच ने सवाल किया था कि उत्तराखंड में क्यों न सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में फ्लोर टेस्ट कराया जाए. इसके लिए कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को केंद्र से राय लेने को कहा था और सुनवाई टाल दी थी.
AG ने कोर्ट से मांगा शुक्रवार तक का समय
बुधवार को मामले की सुनवाई शुरू हुई तो एजी ने कहा, 'केंद्र सरकार फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को काफी गंभीरता से ले रही है, हालांकि अब तक इस संबंध में कोई दिशानिर्देश तय न हीं हुआ. सरकार को इस बारे में फैसला लेने के लिए शुक्रवार तक का समय दिया जाए.' कोर्ट ने एजी की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार को फ्लोर टेस्ट पर फैसला करने के लिए 6 मई तक का वक्त दिया है.
कोर्ट ही तय करेगा क्या होगी प्रक्रिया
इस मामले में शुक्रवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी. अगर सरकार बहुमत परीक्षण के लिए तैयार होती है तो अदालत इसकी प्रक्रिया तय करेगी. हालांकि कांग्रेस की ओर से पेश हो रहे वरिष्ट्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की केंद्र अपना निर्णय ले और मामले को लंबा ना खींचे. जिस पर एजी ने कहा कि हमारी मंशा मामले को लम्बा खींचने की नहीं है.
...तो कुछ देर के लिए स्थगित होगा राष्ट्रपति शासन
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केंद्र अपना निर्णय बताए और अगर सरकार निर्णय नहीं ले सकती तो इस बारे में वह खुद अपना निर्णय ले लेंगे कि उत्तराखंड में शक्ति परिक्षण कराना है या नहीं. कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि अगर फ्लोर टेस्ट होगा तो हरीश रावत का ही होगा और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगा. उस दौरान थोड़ी देर के लिए राष्ट्रपति शासन स्थगित कर दिया जाएगा.
केंद्र के नकारने पर कोर्ट का फैसला होगा अंतिम
अगर केंद्र सरकार का जवाब न होता है तो सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को ही दोनों पक्षों को सुन कर अपनी तरफ से आदेश देगा. कोर्ट के रुख को देखते हुए ये कयास लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार इस मामले में घिरती नजर आ रही है. सुनवाई के पहले दिन भी अदालत ने केंद्र से सात सवाल पुछते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के मसले पर शंका जाहिर की थी.
हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें राष्ट्रपति शासन जाने के फैसले को निरस्त कर दिया गया था. 27 अप्रैल को कोर्ट ने अगले आदेश तक इस रोक को आगे बढ़ा दिया था.