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गंगा और यमुना को जीवित प्राणी का दर्जा नहीं: सुप्रीम कोर्ट

देश की दो प्रमुख नदियों के तौर पर मशहूर गंगा और यमुना नदी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 'लिविंग एंटिटी' यानी सजीव प्राणी का दर्जा दे दिया था. उत्तराखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिका डालने वाले मुहम्मद सलीम, केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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देश की दो प्रमुख नदियों के तौर पर मशहूर गंगा और यमुना नदी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 'लिविंग एंटिटी' यानी सजीव प्राणी का दर्जा दे दिया था. उत्तराखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिका डालने वाले मुहम्मद सलीम, केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.

गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीते 20 मार्च को आदेश दिया था कि गंगा और यमुना एक लिविंग एंटिटी यानी जीवित प्राणी हैं. इनको साफ और स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. राज्य के मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल दोनों नदियों को स्वच्छ रखने के लिए कानूनी रूप से कदम उठाएंगे. वे सुनिश्चित करेंगे कि दोनों नदियां साफ रहें. कोर्ट ने इसके मद्देनजर निर्देश दिया था कि हर तारीख पर मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल खुद पेश हो कर बताएंगे कि दोनों नदियों को साफ रखने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

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राज्य सरकार ने फैसले को दी चुनौती

उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि दोनों नदियां 4 राज्यों से हो कर गुजरती हैं इसलिए सिर्फ उत्तराखंड पर इन्हें साफ रखने की जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि इस मामले में गलत आदेश जारी किया है. अर्जी में ये भी कहा गया है कि दोनों नदियों को लिविंग एंटिटी घोषित करने की वजह से इन नदियों में कोई नहाना-धोना भी नहीं किया जा सकता. ऐसी परिस्थिति में इस पर कानूनी तौर पर पाबंदी लगानी होगी.

 

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