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टिहरी में तबाही... लैंडस्लाइड से पूरा गांव जमींदोज, मलबे में दफन हुई मां-बेटी

उत्तराखंड के टिहरी में बारिश के बाद भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की चपेट में एक पूरा गांव आ गया. दर्जनों घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए. वहीं बाकी घरों में कीचड़ और मलबा घुस गया, तो कुछ की दीवारें और छतें टूट गईं. इस आपदा के दौरान मलबे में दबकर मां-बेटी की जान चली गई.

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टिहरी में लैंडस्लाइड में मां-बेटी की मौत (सोर्स - Meta AI)
टिहरी में लैंडस्लाइड में मां-बेटी की मौत (सोर्स - Meta AI)

Tehri Landslide: टिहरी में घनसाली विधानसभा क्षेत्र के बालगंगा तहसील अंतर्गत तिनगढ़ गांव में भारी बारिश के बाद जबरदस्त भूस्खलन हुआ. भारी लैंडस्लाइड की चपेट में आने से दर्जनों मकान ध्वस्त हो गए. इसके बाद पूरे तिनगढ़ गांव में कोहराम मच गया. दर्जनों ग्रामीण बेघर हो गए.

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यहां पिछले दो दिनों से भारी बारिश के कारण तोली गांव, कोट गांव और तिनगढ़ गांव भारी भूस्खलन की चपेट में आ गए. भारी लैंडस्लाइड के चलते तोली गांव का एक मकान ध्वस्त हो गया. इस कारण मां-बेटी मलबे में जिंदा दफन हो गई. वहीं कोट गांव में भी लगातार भूस्खलन हो रहा है. 

तिनगढ़ गांव की अगर बात की जाय तो यहां लगभग 50 से 55 परिवार रहते थे, जो अब बेघर हो चुके हैं. गांव के ग्रामीणों से उनकी छत छिन गई है. लोग कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं. वहीं कई ग्रामीणों को प्रशासन ने एक स्कूल में शिफ्ट कर दिया है.

तिनगढ़ में पिछले दो दिनों से गांव के ऊपर लगातार भूस्खलन हो रहा है. दर्जनों घर भूस्खलन की चपेट में आने से मलबे में तब्दील हो गए हैं. दो दिन पहले रात के समय तिनगढ़ गांव के ऊपर भूस्खलन शुरू हुआ. इसके बाद जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया. अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया होता, तो  बड़ी अनहोनी हो सकती थी.

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 समय रहते ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर चले गए. मगर ग्रामीणों के दर्जनों मवेशी मलबे में जिंदा दफन हो गए. ग्रामीणों का कहना है कि तिनका-तिनका पाई-पाई जुटा कर हमलोगों ने अपने सपनों का आशियाना बनाया था. मगर पलक झपकते ही सब तबाह हो गया. दर्जनों ग्रामीण बेघर हो गए. ग्रामीणों का कहना है कि जो कुछ सामान उनके घरों में बचा हुआ है उसको लेकर जाएं तो कहां जाएं.

जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को स्कूलों में बने राहत शिविर में ठहराया हुआ है. यहां पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई है. ग्रामीणों की मांग है कि उनका इस गांव से विस्थापन किया जाय, ताकि वह फिर से अपना गांव बसा सकें. तिनगढ़ गांव में  ग्रामीणों के मकान ताश के पत्तों की तरह बिखरे नजर आ रहे हैं. टूटे घरों के अंदर सामान बिखरा पड़ा हुआ है. ग्रामीणों की जमा पूंजी घरों के अंदर दफन हो चुकी है.

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