विकास की दौड़ में आज हम भले ही जितना आगे बढ गए हों, मगर यह सच है कि आज भी कई जगह लोग विकास से कोसों दूर हैं. ऐसा ही एक इलाका है हरिद्वार का रवासन क्षेत्र.
इस क्षेत्र में आजादी के बाद से ही लोगों ने सड़क का मुंह नहीं देखा है. इनके लिए सड़क है यहां से गुजरने वाली रवासन नदी. बरसात के दौरान जब नदी उफान पर होती है, तब भी इन लोगों को इस उफनती नदी को ही पार कर आना जाना पड़ता है. वर्षों से इस क्षेत्र के पंद्रह गांवों के लोग एक अदद पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, मगर आज तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली, जिसके कारण हर बरसात में यहां पर हादसे होते रहते हैं.
हरिद्वार के सीमावर्ती रवासन क्षेत्र में मीठीबेरी, रवासन, अन्दर पीली, रसूलपुर, आर्यनगर सहित 15 गांवों के लोगों ने सड़कें देखी ही नहीं हैं. बरसात के दौरान रवासन नदी यहां के बाशिंदों के लिए किसी आफत से कम नहीं होती है. लोगों को कुछ भी काम हो, तो इस नदी को पार करना ही पड़ता है. साथ ही बरसात के दौरान स्कूल जाने वाले बच्चों को भी इस नदी को जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ता है. कई बार तो बच्चे इस नदी में गिरकर घायल हो चुके हैं. बरसात में नदी में पानी अचानक बढ़ जाता है, तो लोगों का आना-जाना बंद हो जाता है. स्कूल को भी दो माह के लिए बंद करना पड़ता है.
ग्रामीणों ने कई बार इस नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर आन्दोलन किया है. पिछले साल स्थानीय विधायक ने इस मांग को लेकर बीच नदी में आन्दोलन भी किया, मगर साल गुजर गया, फिर बरसात आई और फिर से स्कूली बच्चों और लोगों को जान हथेली पर रखकर नदी पार करके ही जाना-आना पड़ रहा है.
स्थानीय लोग अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर भी गुस्से में हैं. उनका कहना है कि चुनाव के दौरान पुल बनाने के वादे किए जाते हैं, पर बाद में वे पूरे नहीं किए जाते. सबसे ज्यादा बुरा हाल बरसात के दौरान बीमारों की तीमारदारी को लेकर होता है. गर्भवती महिलाओं को तो बरसात के दौरान केवल भगवान का ही सहारा है.