दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का छोटा सा प्लान बनाना हो या हनीमून का, सबसे पहले नैनीताल का नाम ही जेहन में आता है. जहां गर्मियों में नैनीताल की खूबसूरती और ठंडा मौसम सैलानियों को अपनी ओर जैसे खींच लाते हैं. वहीं सर्दियों में बर्फबारी और विंटर स्पोर्ट्स के दीवानों के लिए नैनीताल स्वर्ग बन जाता है. कहा जाता है कि एक समय में नैनीताल जिले में 60 से ज्यादा झीलें हुआ करती थीं. यहां चारों ओर खूबसूरती बिखरी है. सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां जाकर पर्यटक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं. लेकिन नैनीताल जाने पर समय और जानकारी के आभाव में दो-चार खूबसूरत नजारे देखने के बाद पर्यटक खुश हो जाते हैं और उनकी यादें अपने मन में बसाकर सालों तक नैनीताल का गुणगान करते रहते हैं.
अगली बार नैनीताल जाना हो तो पूरी जानकारी के साथ जाएं, ताकि कोई टूरिस्ट गाइड 'नो उल्लू बनाविंग'. जानकारी कहां मिलेगी? यहां और कहां...
एनएच 87 नैनीताल को पूरे देश से जोड़ता है. नैनीताल में रेल और हवाई सेवाएं नहीं हैं, लेकिन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से सिर्फ 34 किमी दूर काठगोदाम में है. काठगोदाम से नैनीताल के लिए राज्य परिवहन की गाड़ियां दिन में हर समय उपलब्ध रहती हैं. इसके अलावा शेयर टैक्सी 100 रुपये प्रति व्यक्ति और बुक करने पर 500 रुपये में यहां रेलवे स्टेशन के बाहर ही मिल जाती हैं. अगर आप हवाई मार्ग से नैनीताल जाना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी पंतनगर एयरपोर्ट करीब 55 किमी दूर है.
देश के कुछ प्रमुख स्थानों से नैनीताल की दूरी
दिल्ली: 320 किमी
अल्मोड़ा: 68 किमी
हल्द्वानी: 38 किमी
जिम कॉर्बेट पार्क: 68 किमी
बरेली: 190 किमी
लखनऊ: 445 किमी
हरिद्वार: 234 किमी
मेरठ: 275 किमी
नैनीताल एक नजर में:
नैनीताल की खोज सन 1841 में एक अंग्रेज चीनी (शुगर) व्यापारी ने की. बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और स्वास्थ्य लाभ लेने की जगह के रूप में विकसित किया. नैनीताल तीन ओर से घने पेड़ों की छाया में ऊंचे-ऊंचे पर्वतों के बीच समुद्रतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां के ताल की लंबाई करीब 1358 मीटर और चौड़ाई करीब 458 मीटर है. ताल की गहराई 15 से 156 मीटर तक आंकी गई है, हालांकि इसकी सही-सही जानकारी अब तक किसी को नहीं है. ताल का पानी बेहद साफ है और इसमें तीनों ओर के पहाड़ों और पेड़ों की परछाई साफ दिखती है. आसमान में छाए बादलों को भी ताल के पानी में साफ देखा जा सकता है. रात में नैनीताल के पहाड़ों पर बने मकानों की रोशनी ताल को भी ऐसे रोशन कर देती है, जैसे ताल के अंदर हजारों बल्ब जल रहे हों.
ताल में बत्तखों के झुंड, रंग-बिरंगी नावें और ऊपर से बहती ठंडी हवा यहां एक अदभुत नजारा पेश करते हैं. ताल का पानी गर्मियों में हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला दिखाई देता है.
आगे पढ़ें: नैनीताल का धार्मिक महत्व और ठहरने की व्यवस्था कहां हो ...{mospagebreak}
नैनीताल का धार्मिक महत्व:
स्कंद पुराण के मानस खंड में इसे 'त्रि-ऋषि-सरोवर' कहा गया है. ये तीन ऋषि अत्री, पुलस्थ्य और पुलाहा ऋषि थे. इस इलाके में जब उन्हें कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने यहां एक बड़ा सा गड्ढा किया और उसमें मनसरोवर का पवित्र जल भर दिया. उसी सरोवर को आज नैनी ताल के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि नैनी ताल में डुबकी लगाने का महत्व मानसरोवर में डुबकी लगाने जितना ही पवित्र है.
इसके अलावा नैनीताल को 64 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भटक रहे थे तो यहां माता की आखें (नैन) गिर गए थे. माता की आखें यहां गिरी थी इसलिए इस जगह का नाम नैनी ताल पड़ा. माता को यहां नैयना देवी के रूप में पूजा जाता है.
रुकने की व्यवस्था कहां हो...
नैनीताल जाने से पहले ही सबसे ज्यादा चिंता इस बात की होती है कि ठहरने की क्या व्यवस्था हो. यहां कई सरकारी गेस्ट और रेस्ट हाउस हैं, जिन्हें बुक करके आप चैन से सफर का प्लान बना सकते हैं. नैनीताल का एसटीडी कोड 05942 है. मल्लीताल में कुमाऊं गेस्ट हाउस में रुकने की अच्छी व्यवस्था है. यहां का फोन नंबर 236350 है. इसके अलावा कुमाऊं मंडल विकास निगम के टूरिस्ट रेस्ट हाउस में भी कमरों की व्यवस्था है. इसके बारे में फोन नंबर 236374 या www.kmvn.gov.in वेबसाइट से जानकारी मिल सकती है. सूखाताल में टूरिस्ट रेस्ट हाउस के फोन नंबर 235400, 231437 हैं. तल्लीताल में भी टूरिस्ट रेस्ट हाउस है यहां के बारे में जानकारी इनके फोन नंबर 235570 से ली जा सकती है. इसके अलावा स्नो व्यू में टूरिस्ट रेस्ट हाउस का फोन नंबर 238570 है और नैनीताल क्लब से संपर्क करने के लिए उनके फोन नंबर 235875, 236212, 235420 हैं. इनके अलावा नैनीताल में प्राइवेट होटलों की भी अच्छी व्यवस्था है.
ताकि मुसीबत गले ना पड़े...
नैनीताल जा रहे हैं तो याद रखें कि यहां शराब पीकर गाड़ी चलाना सख्त मना है. यहां गाड़ी में एफएम या म्यूजिक चलाना मना है. यहां चप्पल पहनकर ड्राइविंग करने पर भी चालान हो सकता है. गाड़ी में फर्स्ट एड बॉक्स होना बेहद जरूरी है और मालरोड पर पार्किंग की मनाही है. यही नहीं मालरोड पर गाड़ी ले जाना चाहते हैं तो दिन के अलग-अलग समय में अलग-अलग टैक्स चुकाना पड़ेगा.
अगर आप गर्मी में नैनीताल जा रहे हैं तो एक जोड़ी गर्म कपड़े जरूर रख लें. यहां हल्की सी बारिश हाने पर भी गर्मी के महीनों में जनवरी की तरह ठंड शुरू हो जाती है. गर्म कपड़े लेकर नहीं जाएंगे तो यहां की मशहूर भोटिया मार्केट में जेब ढीली करने का मौका जरूर मिल जाएगा.
आगे पढ़ें: नैनीताल में सैर-सपाटे की जगहें... {mospagebreak}
नैनीताल में सैर-सपाटे की जगहें
तल्लीताल और मल्लीताल: नैनीताल का मल्ला भाग (ऊपरी हिस्सा) मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है. मल्लीताल में एक फ्लैट खुला मैदान है और यहां पर खेल तमाशे होते रहते हैं. इस फ्लैट पर शाम होते ही सैलानी इकट्ठे हो जाते है. भोटिया मार्केट में गर्म कपड़े, कैंडल और बेहतरीन गिफ्ट आइटम मिलते हैं. यहीं पर नैयना देवी मंदिर भी है.
मल्लीताल से तल्लीताल को जोड़ने वाली सड़क को माल रोड कहा जाता है. माल रोड पर जगह-जगह लोगों के बैठने और आराम करने के लिए लिए बेंच लगे हुए हैं. सैर-सपाटे के लिए यहां आने वाले सैलानी पैदल ही करीब डेढ़ किमी की इस दूरी को शॉपिंग करते हुए तय कर लेते हैं. वैसे दोनों ओर से रिक्शों की अच्छी व्यवस्था है. लेकिन यहां रिक्शे को लिए भी लाइन लगानी पड़ती है. कोई भी रिक्शा चालक लाइन से अलग खड़े लोगों को रिक्शे में नहीं बिठा सकता, यह रिक्शा यूनियन का स्पष्ट निर्देश है.
चाइना पीक या नैनापीक:
नैनीताल की सात चोटियों में 2611 मीटर ऊंची चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. चाइना पीक की दूरी नैनीताल से लगभग 6 किलोमीटर है. इस चोटी से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों के दर्शन होते हैं. यहां से नैनीताल झील और शहर के भी भव्य दर्शन होते हैं. यहां एक रेस्तरां भी है.
किलवरी: 2528 मीटर की ऊंचाई पर दूसरी पर्वत चोटी है और इसे किलवरी कहते हैं. यह पिकनिक मनाने के लिए शानदार जगह है. यहां पर वन विभाग का एक विश्रामगृह (रेस्ट हाउस) भी है. इसका आरक्षण डी.एफ.ओ. नैनीताल करते हैं.
लड़ियाकांटा: इस पर्वत श्रेणी की ऊंचाई 2481 मीटर है और यह नैनीताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर दूर है. यहां से नैनीताल के ताल को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है.
देवपाटा और केमल्स बैक:
देवपाटा और केमल्स बैक नाम की ये दोनों चोटियां साथ-साथ हैं. देवपाटा की ऊंचाई 2435 मीटर है जबकि केमल्स बैक 2333 मीटर ऊंची है. इस चोटी से भी नैनीताल और उसके आसपास के इलाके के बेहद सुंदर नजारे दिखते हैं.
डेरोथी सीट और टिफिन टॉप:
एक अंग्रेज ने अपनी पत्नी डेरोथी की याद में इस पहाड़ की चोटी पर उसकी कब्र बनाई और उसका नाम डेरोथीसीट रख दिया. तभी से यह डेरोथीसीट के नाम से जाना जाता है. नैनीताल से चार किलोमीटर की दूरी पर 2290 मीटर की ऊंचाई पर यह चोटी है. टिफिन टॉप से हिमालय के खूबसूरत नजारे दिखते हैं, यहां से नेपाल की ऊंची-ऊंची हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं भी नजर आती हैं.
स्नोव्यू और हनी-बनी:
नैनीताल से केवल ढाई किलोमीटर और 2270 मीटर की ऊंचाई पर हवाई पर्वत चोटी है. मल्लीताल से रोपवे पर सवार होकर यहां आसानी से जाया जा सकता है. यहां से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. स्नोव्यू से लगी हुई दूसरी चोटी हनी-बनी है, जिसकी ऊंचाई 2179 मीटर है, यहां से भी हिमालय का सुंदर नजारा दिखता है.
नैनीताल चिड़ियाघर: नैनीताल का चिड़ियाघर बस अड्डे से करीब 1 किमी दूर है. इसका नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है. चिड़ियाघर में बंदर से लेकर हिमालय का काला भालू, तेंदुए, साइबेरियाई बाघ, पाम सिवेट बिल्ली, भेड़िया, चमकीले तितर, गुलाबी गर्दन वाले प्रकील पक्षी, पहाड़ी लोमड़ी, घोरल, हिरण और सांभर जैसे जानवर हैं. जू हर सोमवार, राष्ट्रीय अवकाश और होली-दिवाली के मौके पर बंद रहता है.
रोप-वे या ट्रॉली:
मल्लीताल से स्नोव्यू तक रोपवे का आनंद लिया जा सकता है. यहां सैलानी दो ट्रॉली से आसमानी सैर करके नैनीताल के खूबसूरत नजारों का लुत्फ लेते हैं. ट्रॉली एक तरफ का सफर तय करने में करीब 152 सेकेंड का समय लेती है. एक ट्रॉली में 10 सवारियों के अलावा 1 ऑपरेटर के खड़े होने की जगह होती है. यह सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सवारी के लिए तैयार रहती है और दोनों तरफ का किराया बड़ों के लिए 150 रुपये व बच्चों के लिए 100 रुपये है. फोन नंबर 235772 से रोपवे के बारे में ज्यादा जानकारी ली जा सकती है.
घुड़सवारी: नैनीताल आने वाले सैलानियों के लिए हॉर्स राइडिंग एक और आकर्षण है. यहां बारापत्थर से घोड़े किराए पर लेकर सैलानी नैनीताल की अलग-अलग चोटियों की सैर करते हैं. शहर के अंदर घुड़सवारी अब पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
राजभवन: इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाए गए राजभवन का निर्माण अंग्रेजों ने उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के गवर्नर के रहने के लिए किया था. अब यहां उत्तराखंड के राज्यपाल का निवास है और राज्य के अतिथि भी यहां आकर ठहरते हैं. दो मंजिला इमारत में 113 कमरे हैं. यहां शानदार गार्डन, गोल्फ लिंक, स्वीमिंग पुल, झंडीदार मोदी हाइट्स, मुंशी हाइट्स जैसी जगहें राजभवन में देखने योग्य हैं.
केव गार्डन: नैनीताल आने वाले सैलानियों के लिए यह बिल्कुल नया फीचर है और यह ज्यादा पुराना भी नहीं है. यह मल्लीताल से करीब एक किमी दूर सूखाताल इलाके में कुमाऊं विश्वविद्यालय कैंपस के पास है.
हनुमान गढ़ी: हनुमान गढ़ी एक धार्मिक जगह है और यह नैनीताल बस अड्डे से करीब 3.5 किमी दूर समुद्र तल से 1951 मीटर की ऊंचाई पर है. इस जगह से डूबते सूर्य का खूबसूरत नजारा दिखता है और यह इसी के लिए मशहूर है. नैनीताल से यहां के लिए बस, टैक्सी मौजूद हैं, हालांकि लोग पैदल भी यहां पहुंचते हैं. 1950 के आसपास नीम करोली बाबा ने यहां ये मंदिर बनाए थे. इनमें बजरंगबली हनुमान के अलावा राम-लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां भी हैं. इसी पहाड़ की दूसरी तरफ शीतला माता का मंदिर और लीला शाह बापू का आश्रम भी है.
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंस (ARIES):
यह इंस्टीट्यूट मनोरा पीक पर हनुमान गढ़ी से करीब 1 किमी की दूरी पर बसाया गया है. सड़क मार्ग से यह नैनीताल से करीब 9 किमी दूर है. यह केंद्र खगोलीय अध्यन और कृत्रिम उपग्रहों पर निगरानी रखने के लिए बनाया गया है. रात में तारों और ग्रहों को देखने के लिए यहां कुछ चांदनी रातें तय की गई हैं और अगर कोई सैलानी आसमान की गहराई में झांकना चाहता है तो यहां आ सकता है. 1955 में इस वेधशाला को नैनीताल में स्थापित किया गया और मनोरा पीक की मौजूदा जगह पर इसे 1961 में स्थापित किया गया.
यहां जाकर तारों का नजदीकी से अवलोकन करने के लिए अनुमति की जरूरत होती है और इससे जुड़ी जानकारी के लिए www.aries.res.in वेबसाइट पर लॉगइन किया जा सकता है. इसके अलावा ऑब्जरवेटरी के फोन नंबर 05942-235136 और 05942-235883 से भी जानकारी ली जा सकती है.
आगे पढ़ें: नैनीताल के आसपास सैरगाह... {mospagebreak}
नैनीताल के आसपास सैरगाह
भीमताल और नौकुचियाताल
भीमताल और नौकुचिया ताल दोनों तालों की खूबसूरती जबरदस्त है. भीमताल की झील तो नैनीताल की झील से भी बड़ी है. जबकि नौकुचियाताल की खासियत इसके नौ कोने हैं. भीमताल जहां समुद्रतल से 1380 मीटर की ऊंचाई पर है वहीं नौकुचियाताल 1220 मीटर की ऊंचाई पर है. नैनीताल से मात्र 22 किमी दूर है भीमताल और यहां से 4 किमी दूर यानी नैनीताल से कुल 26 किमी दूर नौकुचियाताल है. नौकुचियाताल में आप रंग-बिरंगे पक्षियों के दर्शन कर सकते हैं. इसके अलावा यहां रोईंग, पैडिंग और याटिंग की सुविधा भी है. भीमताल में सैलानी बोटिंग का भरपूर लुत्फ उठाते हैं. भीमताल की झील के बीच एक टापू है, जहां बेहद सुंदर एक्वेरियम है और यह किनारे से 91 मीटर दूर है. इसके अलावा यहां 17वीं सदी का भीमेश्वर मंदिर है और 40 फिट ऊंचा बांध भी देखने लायक है.
पटुवा डांगर
नैनीताल से हल्द्वानी की सड़क पर सिर्फ 15 किमी दूर चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक छोटी सी बस्ती सड़क के दाईं ओर बसी है. इसी बस्ती को पटुवा डांगर कहा जाता है. यहां उत्तराखंड का सबसे बड़ा वैक्सीन संस्थान है. घने जंगल के बीच बसी यह बस्ती बेहद सुंदर है और अगर नैनीताल जा ही रहे हैं तो यहां की प्राकृतिक सुंदरता का भी भरपूर लुत्फ उठाएं. गर्मी के दिनों में यहां बड़ी मात्रा में सैलानी आते हैं. इसके अलावा गर्मी में जब नैनीताल में ठहरने की जगह नहीं मिलती तो सैलानी यहां रह सकते हैं.
भुवाली और घोड़ाखाल
कुमाऊं क्षेत्र के पहाड़ों की ओर जाने वाली सड़कों का भुवाली में चौराहा है और यह नैनीताल से करीब 11 किमी दूर है. भुवाली को उसकी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा भुवाली को 1912 में अने अपने टीबी सेनेटोरियम के लिए भी जाना जाता है. भुवाली से घोड़ाखाल करीब 3 किमी दूर है. घोड़ाखाल में ग्वेल (गोलू) देवता का विशाल मंदिर है. यहां भक्त आकर उनसे अपनी मनोकामना पूरी करने की अर्जी लगाते हैं. इसके अलावा घोड़ाखाल को सैनिक स्कूल के लिए भी जाना जाता है. घोड़ाखाल का सैनिक स्कूल देश के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है.
सात ताल
समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर सात ताल में कई छोटी-छोटी झीलें हैं. यह नैनीताल से सिर्फ 23 किमी दूर है. कई बार सात ताल की तुलना इंग्लैंड के वेस्टमोरलैंड से की जाती है. यहां अमेरिकी मिशनरी स्टेनली जॉन का आश्रम भी है. अपने नाम के अनुसार ही यहां सात झीलें हैं. यहां जाने के बाद सबसे पहले 'नल दमयंती झील' दिखती है. इसके बाद 'पन्ना' और 'गरूड़' झीलें दिखाई देती हैं. इसके बाद तीन झीलें एक साथ दिखती हैं और इनका नाम 'राम', 'लक्ष्मण' और 'सीता' लेक है.
मुक्तेश्वर
नैनीताल से करीब 51 किमी दूर बसा मुक्तेश्वर समुद्र तल से 2286 मीटर की ऊंचाई पर है. मुक्तेश्वर में खूबसूरत फलों के बगीचे हैं. यह शंकुधारी जंगलों से घिरा हुआ है. 1893 में अंग्रेजों ने मुक्तेश्वर में अनुसंधान और शिक्षा संस्थान (IVRI) की स्थापना की थी. यहां से हिमालय का विहंगम दृष्य आंखों के ठीक सामने दिखता है. यहां चट्टान के शिखर पर भोले भंडारी भगवान शिव का मंदिर भी दर्शनीय है.
कैची धाम
नीम करोली बाबा का यह आश्रम आधुनिक जमाने का धाम है. यहां पर मुख्य तौर पर बजरंगबली की पूजा होती है. इस जगह का नाम कैची यहां सड़क पर दो बड़े जबरदस्त हेयरपिन बैंड (मोड़) के नाम पर पड़ा है. कैची नैनीताल से सिर्फ 17 किमी दूर भुवाली से आगे अल्मोड़ा रोड पर है. बजरंग बली का आशीर्वाद लेने और नीम करोली बाबा के बारे में जानने के लिए पर्यटक यहां आते हैं. इसके अलावा यहां मन की शांति भी खूब मिलती है. पास से गुजरती जलधारा इस जगह पर एक अलग ही आनंद और सौन्दर्य देती है.
रामगढ़
समुद्र तल से 1789 मीटर की ऊंचाई पर बसा रामगढ़ अपनी हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पहचाना जाता है. यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और नैनीताल से 25 व भुवाली से 14 किमी दूर है. यहां से हिमालय पर्वतमाला के दर्शन होते हैं. इसके अलावा पहाड़ी फल जैसे आड़ू, पूलम, खुबानी और सेब के बाग यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. रामगढ़ में अरबिंदो आश्रम भी है, जहां पर्यटक जाना पसंद करते हैं. गर्मियों के दिनों में रामगढ़ के जंगलों में काफल पाक्को पक्षी की आवाज गूंजती रहती है. मशहूर साहित्यकार रविंद्रनाथ टैगोर और महादेवी वर्मा ने यहां काफी समय गुजारा और प्रकृति को बेहद करीब से देखा. उन्होंने अपनी कविताओं में प्रकृति को बेहद सुंदर ढंग से उकेरा और खूब वाहवाही बटोरी.
रानीखेत
नैनीताल से करीब 65 किमी की दूरी पर बसा रानीखेत शहर अल्मोड़ा जिले में है और यह भारतीय सेना की कुमाऊं रेजीमेंट का हेडक्वार्टर भी है. यह शहर अपनी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, सुहावनी व शुद्ध हवा और दिलकश नजारों के लिए जाना जाता है. चीड़ और बांज के पेड़ों के बीच बसे रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट का म्यूजियम और खूबसूरत गोल्फ कोर्स भी दर्शनीय स्थान हैं. रानीखेत से करीब 4 किमी दूर चौबतिया गार्डन अपने स्वादिष्ट सेब, आलूबुखारा, आडू, खुबानी के विशाल बागीचों के लिए मशहूर है. रानीखेत को करीब 150 साल पहले अंग्रेजों ने खूबसूरती से आबाद किया था.
आगे पढ़ें: नैनीताल में मेले और धार्मिक आयोजन... {mospagebreak}
नैनीताल में मेले और धार्मिक आयोजन
शरदोत्सव या हेमंतोत्सव
हर साल नैनीताल में शरदोत्सव या हेमंतोत्सव का आयोजन होता है. यहां मुंबई से कलाकारों, गायकों आदि को बुलाया जाता है. इसके अलावा कुमाऊं के सांस्कृतिक आयोजन भी इस उत्सव के दौरान कौतूहल पैदा करते हैं. इस दौरान नैनीताल का माहौल जबरदस्त होता है और पर्यटक खास तौर पर इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं. शरदोत्सव या हेमंतोत्सव का आयोजन नैनीताल शहर में ही हर साल नवंबर महीने के पहले पखवाड़े में 4 दिन तक होता है.
हरेला मेला
हरेला पूरे कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है. यह साल में तीन बार चैत्र नवरात्र और श्रावण नवरात्र के अलावा अश्विन माह में मनाया जाता है. श्रावण हरेला श्रावण महीने के पहले दिन (जुलाई के अंतिम दिनों में) मनाया जाता है. यह हरियाली आने का संकेत है. इस मौके पर पूरे कुमाऊं क्षेत्र में संक्रांति मनाई जाती है और जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है. हरेला मेले का आयोजन भीमताल शहर में हर साल हरेला त्योहार के मौके पर 16 व 17 जुलाई को होता है.
नंदाअष्टमी मेला
नंदाअष्टमी मेले का आयोजन वैसे तो पूरे कुमाऊं क्षेत्र में होता है, लेकिन नैनीताल में नंदादेवी मंदिर और भुवाली का मेला खास है. सितंबर-अक्टूबर में शुक्ल पक्ष अष्टमी के मौके पर नंदाअष्टमी मनाई जाती है. पर्यटक खासतौर पर नंदाअष्टमी मेला देखने के लिए नैनीताल आते हैं.
गर्जिया मेला
रामनगर से करीब 12 किमी दूर कॉर्बेट जंगल में कोसी नदी के बीच उभरे एक पहाड़ की चोटी पर माता गर्जिया (गिरिजा) का मंदिर है. गर्जिया मंदिर में वैसे तो सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहां मेला लगता है तो खूब धूम मचती है.
आगे पढ़ें: नैनीताल में एडवेंचर स्पोर्ट्स... {mospagebreak}
नैनीताल में एडवेंचर स्पोर्ट्स
वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनों के लिए नैनीताल स्वर्ग से कम नहीं है. यहां का नैनीताल याट कल्ब नौकायन परंपरा और विरासत को सहेजे हुए है. यहां हर साल राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर की नौका दौड़ होती हैं. गर्मी के मौसम में नैनीताल की झील में स्विमिंग कॉम्पटीशन भी आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा कैनोइंग और कयाकिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी इस खूबसूरत झील में होते रहते हैं.
अगर आप स्काई एडवेंचर का लुत्फ लेना चाहते हैं तो नौकुचियाताल में पैरासेलिंग की सुविधा उपलब्ध है. अनुभवी पैरासेलर्स की देखरेख में आप यहां आकाश के इस रोमांच में डूब सकते हैं.
एडवेंचर स्पोर्ट्स में हॉटबलूनिंग भी अपना अलग स्थान रखता है और यह नैनीताल का एक और आकर्षण है. सूखाताल में हॉटबलूनिंग के कैंप आयोजित किए जाते हैं.
माउंटेनियरिंग यानी पर्वतारोहण के शौकीनों के लिए नैनीताल में काफी कुछ है. नैनीताल माउंटेनियरिंग क्लब पर्वतारोहरण और रॉक क्लाइबिंग की ट्रेनिंग देता है और इसे इस क्षेत्र में महारत हासिल है. यहां के बारापत्थर और कैमेल्स बैक इलाके में रॉक क्लाइबिंग ट्रेनिंग दी जाती है.
इसके अलावा यहां राज भवन के गोल्फ कोर्स में हर साल गोल्फ टूर्नामेंट का आयोजन होता है. यहां 9 होल गोल्फ कोर्स है. अलग-अलग मौसम में मल्लीताल के फ्लैट्स में हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट और बॉक्सिंग टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है.