पीएम मोदी के बयान के बाद देशभर में समान नागरिक कानून (UCC) को लेकर चर्चा तेज है. इस बीच उत्तराखंड में UCC को लागू करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में उत्तराखंड पहला राज्य बन सकता है जहां समान नागरिक कानून (UCC) लागू हो जाए. इस कानून के लिए एक ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामलों के साथ कैसे डील किया जाएगा, इस ड्राफ्ट में इसपर मसौदा तैयार किया गया है.
UCC का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने एक्सपर्ट की एक कमेटी बनाई थी. रिटायर्ड जज रंजन प्रसाद देसाई को इसका अध्यक्ष बनाया गया था. कमेटी को करीब 20 लाख सुझाव मिले थे.
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करेंगे. इसके बाद एक कमेटी बनाई गई. कमेटी ने उत्तराखंड के लोगों से सुझाव मांगे. सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से भी सुझाव मांगे गए थे. कमेटी ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाकर भी सुझाव मांगे थे.
इस कमेटी ने UCC को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बाहर के देशों के कानूनों की भी समीक्षा की है. माना जा रहा है कि इस ड्राफ्ट पर रिपोर्ट 30 जून के बाद सामने आ सकती है.
हरीश रावत ने की धामी की आलोचना
UCC को लेकर सीएम धामी पहले ही दावा कर चुके हैं कि यह कानून सब नागरिकों को फायदा पहुंचाएगा. हालांकि, पूर्व सीएम हरीश रावत ने धामी की आलोचना की है. उनका कहना है कि UCC को नैतिकता के आधार पर लाया जाना चाहिए और इसपर बड़े पैमाने पर चिंतन होना चाहिए था.
हरीश रावत ने कहा था कि सभी धर्मों की अपनी अलग समस्याए हैं. इसी के साथ जमीन और फैमिली को लेकर अलग-अलग कानून हैं. रावत ने दावा किया था कि कई मंदिरों में दलित और महिलाओं का जाना मना है. UCC में इसपर भी विचार किया जाना चाहिए. रावत ने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ मुस्लिम एजेंडे के तहत UCC लाना चाहती है.
उत्तराखंड में समान नागरिकता संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए जो विशेषज्ञ समिति गठित हुई थी वह 30 जून को दोपहर 1.30 बजे करीब नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.