जोशीमठ में धंसती जमीन अब राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है. वहां पहुंचकर कई बड़े नेता और अधिकारी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और स्थानी लोगों को उचित कदम उठाए जाने की भरोसा भी दे रहे हैं. स्थानीय प्रशासन वहां से लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के साथ ही खतरनाक इमारतों को गिराने का भी काम कर रहा है. इन सब के बीच मंगलवार को मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती खुद जोशीमठ पहुंचीं.
उमा भारती ने जोशीमठ पहुंचकर आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि हमने 2017 में ही कह दिया था कि ऐसे प्रोजेक्ट हिमालय के लिए अपूर्णाय क्षति हैं. उमा भारती ने कहा कि उस वक्त भी हमारी ही सरकार में कुछ अधिकारी इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिद पर अड़े हुए थे. उमा भारती ने कहा कि यहां कई एक्सपर्ट्स आएंगे और अलग-अलग राय देंगे.
'निर्माण कार्यों पर लगे रोक'
हिमालय क्षेत्र में पॉवर प्रोजेक्ट को क्यों जारी रखा गया? इस सवाल पर उमा भारती ने कहा कि मैंने एक्सपर्ट्स के ओपिनियन के साथ इस मुद्दे पर पहले भी कहा था. लेकिन बाद में एक और एक्सपर्ट का ओपिनियन आ गया और इसलिए यह प्रोजेक्ट जारी रखा गया. उमा भारती ने कहा कि पहले के समय में भी ऐसा हुआ है कि प्रोजेक्ट को रोक दिया गया है. उमा भारती ने पुराना उदाहरण दिया कि हरीश रावत जी के समय में भी एक प्रोजेक्ट को रोका गया था और सरकार ने 1500 करोड़ का नुकसान उठाया था. उमा भारती ने कहा कि अब भी समय है कि ऐसे प्रोजेक्ट को रोक दिया जाए. इस उत्तराखंड को देव भूमि ही समझा जाए.
उत्तराखंड की मौजूदा धामी सरकार की तारीफ करते हुए उमा भारती ने कहा कि यहां जो संकट आना था आ चुका है. अब धामी जी की सरकार में उत्तराखंड में कोई संकट नहीं आना है.
'NTPC की योजनाओं ने जोशीमठ के दिल को चीर दिया'
उमा भारती ने कहा कि पीएमओ ने त्रिवेंद रावत सरकार को तब फटकार भी लगाई थी क्योंकि वह लोग इन प्रोजेक्ट्स के लिए जिद कर रहे थे. जिम्मेदारी और जवाबदेही के सवाल पर उमा भारती ने कहा कि NTPC की योजनाएं जोशीमठ के दिल को नीचे से चीर गई हैं. क्या इस मुद्दे को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए? इस सवाल पर उमा भारती ने कहा कि अभी आपदा आई नहीं है सिर्फ उसके संकेत हैं और सरकारों ने इस पर समय रहते उचित संज्ञान ले लिया है.
जोशीमठ के लोगों को उचित मुआवजे की मांग को लेकर लोगों के बीच हो रहे विरोध पर उमा भारती ने कहा कि स्थानीय लोगों में गुस्सा जायज है. लोकतंत्र में लोगों को उचित विरोध का अधिकार है.
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