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उत्तराखंड चुनाव की तैयारियां शुरू, 'असम फॉर्मूले' पर चुनाव लड़ सकती है BJP

सूत्रों के हवाले से खबर कि बीजेपी उतराखंड में असम और गोवा फॉर्मूले के तहत विधानसभा चुनाव में जाएगी यानि कि बीजेपी मुख्यमंत्री तीरथ रावत नेतृत्व की जगह संयुक्त नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

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उत्तराखंड बीजेपी दफ्तर (फाइल फोटो)
उत्तराखंड बीजेपी दफ्तर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिना चेहरा चुनाव मैदान में उतर सकती है BJP
  • असम में इस फॉर्मूले पर चुनाव लड़ी थी बीजेपी

उतराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा असम का फॉर्मूला अपना सकती है. राज्य के लिए चुनावी रणनीति में विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों के हवाले से खबर कि बीजेपी उतराखंड में असम और गोवा फॉर्मूले के तहत विधानसभा चुनाव में जाएगी यानि कि बीजेपी मुख्यमंत्री तीरथ रावत नेतृत्व की जगह संयुक्त नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पार्टी को उम्मीद है कि इस फॉर्मूले चलते पार्टी में गुटबाज़ी पर भी लगाम लग सकती है.

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बीजेपी असम में सर्बानंद सोनेवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए संयुक्त नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में गई थी, जिससे ये संदेश गया था कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री कौन होगा? ये पार्टी नतीजों के बाद तय करेगी. असम चुनाव में पार्टी का ये फॉर्मूला सफल रहा और इस फॉर्मूले के चलते ही असम में पार्टी दोबारा सत्ता में आने में सफल भी रही है.

उत्तराखंड में अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं. इस हिसाब से केवल लगभग 8 महीने का समय ही बचा है. पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने हाल में ही नेतृत्व परिवर्तन कर अपनी चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की थी, लेकिन नया नेतृत्व भी उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. इसके अलावा कोरोना से बने हालात ने भी पार्टी की चिंता बढ़ाई हुई है.

उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है, हालांकि इस बार आम आम आदमी पार्टी भी उतराखंड में ज़ोर आज़माइश करना चाहती है. राज्य में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार को लेकर केंद्र में किसी तरह की नाराजगी तो नहीं है, लेकिन चुनाव के समय जिस तरह की रणनीति की जरूरत होती है उस में दिक्कत आ सकती है.

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मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह तीरथ सिंह रावत विवादास्पद बयानों ने पार्टी के लिए असहज स्तिथि उत्पन्न कर दी थी. ठीक इसी तरह पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान भी असहज करने वाले रहे हैं. ऐसे  में बीजेपी विधानसभा चुनाव में बिना किसी चेहरे के जा सकती है.

उतराखंड का इतिहास रहा है कि वहां पर सिर्फ़ 9 मुख्यमंत्रियों में नारायण दत्त तिवारी ने ही पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और दो बार मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा सिर्फ़ बीसी खंडूरी को ही मिला है, लेकिन किसी पार्टी के मुख्यमंत्री रहते हुए उस पार्टी को दोबारा सत्ता नहीं मिली है. इसलिए बीजेपी उतराखंड के राजनैतिक और सामाजिक  समीकरणों को समझते हुए कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं.

 

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