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उत्तरकाशी: बर्फ धंसने लगी तो दरार में छिप गया... लगा तूफान आ गया, हिमस्खलन में बचे टीम लीडर की आंखों देखी

उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा चोटी पर हुए हिमस्खलन की घटना में अबतक 19 डेडबॉडी निकाली जा चुकी है. यहां 10 लोग अभी भी लापता हैं. द्रौपदी का डांडा चोटी पर नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के लापता ट्रेनीज की खोज के लिए गुरुवार को भी खोज अभियान जारी रहा. हालांकि शुक्रवार को मौसम खराब रहने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं शुरू किया जा चुका है.

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हिमस्खलन से पहले की तस्वीर (फोटो-आजतक)
हिमस्खलन से पहले की तस्वीर (फोटो-आजतक)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन कई जिंदगियां अभी भी बर्फ में दबी हुई हैं. इस घटना के 80 घंटे से ज्यादा गुजर चुके हैं लेकिन अबतक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है. इस हादसे में मरने वालों की संख्या अब 19 पहुंच गई है. ये आंकड़ा शुक्रवार सुबह तक का है. यहां अभी तक 10 लोगों के फंसे होने की आशंका है. मंगलवार को यहां बड़ा हादसा हो गया था. यहां 17,000  फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर हुए हिमस्खलन में करीब 56 ट्रैकर्स फंस गए थे. इनमें से अबतक 19 लोगों की मौत हो चुकी है. 

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बता दें कि 04 अक्टूबर 2022 को डीसीआर उत्तरकाशी द्वारा SDRF उत्तराखंड को सूचित किया गया कि जनपद उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 47 प्रशिक्षार्थी वहां फंसे हुए है. रेस्क्यू एजेंसियों ने बताया कि उत्तरकाशी के डोकरानी बामक ग्लेशियर में एवलांच हुआ है. 

इस सूचना पर एक्शन लेते हुए  रेस्क्यू टीम आवश्यक रेस्क्यू उपकरणों के तत्काल पोस्ट सहस्त्रधारा से हैली के माध्यम से घटनास्थल के लिए रवाना हो गई. 

क्या हुआ था

नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (निम) का डोकरानी बामक ग्लेश्यिर में द्रोपदी डांडा-2 पहाड़ी पर बीते 22 सितंबर से बेसिक/एडवांस का प्रशिक्षण चल रहा था. इसी दौरान मंगलवार को यहां पर एवलांच हुआ और 56 पर्वतारोही फंस गए. 

कितने लोग बचाए गए

एवलांच के बाद निम ने भी अपने स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, जिस दौरान 4 अक्टूबर को 08 लोगों को घटनास्थल से सुरक्षित निकाल लिया गया है.  अन्य फंसे हुए लोगों के रेस्क्यू हेतु SDRF, NDRF, NIM व अन्य बचाव इकाइयों द्वारा युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया. मौसम अत्यधिक खराब होने के कारण कई बार रेस्क्यू कार्य को बीच मे ही रोकना पड़ा. 

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05 अक्टूबर को सुबह फिर से रेस्क्यू अभियान चलाते हुए 15 लोगों को घटनास्थल से रेस्क्यू कर हेलिकॉप्टर के माध्यम से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया जहां से SDRF टीम द्वारा उन्हें उपचार हेतु मातली ITBP अस्पताल भर्ती कराया गया है.  

ट्रैकिंग पर रोक, बारिश का ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी

इस बीच उत्तरकाशी प्रशासन ने जिले में अगले तीन दिनों के लिए ट्रैकिंग और पर्वतारोहण पर रोक लगा दी है. डीएम के अनुसार मौसम विभाग द्वारा बारिश और बर्फबारी की चेतावनी के बाद ऐसा किया गया है. इस बीच खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हेलिकॉप्टरों को वापस लौटना पड़ा है. अगर आज सुबह मौसम ठीक रहा तो रेस्क्यू ऑपरेशन आज फिर शुरू किया जाएगा. 

आईटीबीपी पीआरओ विवेक पाण्डेय के मुताबिक ऊंचाई पर बने एडवांस हेलीपैड पर बचाव कार्य के लिए हेलिकॉप्टर मौजूद है. पर्वतारोहियों के डेडबॉडी इसी बेस पर मौजूद हैं, उनमें से कुछ को मौसम ठीक होने पर मातली लाने की उम्मीद है.

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड में गुरुवार से तीन दिन भारी वर्षा के आसार हैं. छह और आठ अक्टूबर को भारी से भारी वर्षा को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है. जबकि, सात अक्टूबर को कहीं-कहीं अत्यंत भारी वर्षा हो सकती है. जिसे लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है.

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चश्मदीद की जुबानी

इस टीम को लीड कर रहे नायब सूबेदार अनिल कुमार लीड कर रहे थे. हिमस्खलन में वो भी दब गए थे. उन्हें अभी रेस्क्यू कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा, "टीम में 42 क्लाइंबर थे, जिसमें 34 ट्रेनी थे. मैं टीम को लीड कर रहा था. इंस्ट्रक्टर सविंता कंसवाल और नौमी रावत मेरे पीछे थे. जबकि बाकी लोग हमारे पीछे पीछे आ रहे थे... अचानक बर्फ का तूफान सा आया... बस कुछ ही सेकेंड में सब चीजें बर्फ की मोटी चादर में ढक गईं. ...क्योंकि मैं दूसरे लोगों से आगे था. जैसे ही हिम स्खलन शुरू हुआ मैं एक दरार पर बायीं तरफ लटक गया, जब धीरे धीरे बर्फ का खिसकना बंद हुआ तो मैंने खुद की रस्सियां खोली और अपने टीम के दूसरे सदस्यों को रेस्क्यू करना शुरू किया. दूसरे इंस्ट्रक्टर भी रेस्क्यू के लिए वहां आए." 

उन्होंने कहा कि चूंकि हमारे पास बर्फ हटाने के लिए औजार नहीं थे तो हम बहुत मुश्किल से काम करते रहे और बर्फ हटाने में हमें 2 घंटे लगे. बर्फ हटाने के बाद जो हमें नजर आ रहे थे उन्हें हम ने निकाला, फिर भी हमारे 29 टीम मेंबर बर्फ की दरारों में फंस गए थे. 

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