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इस्तीफा देने के बाद दिखी त्रिवेंद्र सिंह की कसक, बोले- CM के रूप में 4 साल में 9 दिन ही बाकी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफा देने के बाद रावत ने कहा कि मुझे 4 साल सेवा करने का मौका मिला. सामूहिक रुप से यह निर्णय लिया कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए.

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त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रेस कॉन्फ्रेंस (फाइल फोटो)
त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रेस कॉन्फ्रेंस (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत ने CM पद से इस्तीफा दे दिया
  • बीजेपी ने बुलाई विधायक दल की बैठक
  • अब किसी और को मौका मिलना चाहिएः रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने मंगलवार को दोपहर बाद 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस्तीफा देने के बाद आयोजित पीसी में रावत ने कहा कि मैंने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया है. बीजेपी में जो भी फैसले होते हैं, वो सामूहिक विचार के बाद होते हैं.

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इस्तीफा देने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, 'मैं लंबे समय से राजनीति कर रहा हूं. संघ से लेकर बीजेपी को दिया मैंने प्रचार किया. मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर 4 साल काम करने का मौका मिला. मेरी पार्टी ने मुझे स्वर्णिम अवसर दिया. 7-8 परिवार वाले एक छोटे से गांव में मैं पैदा हुआ.' इस्तीफा देने के बाद उनके चेहरे पर एक कसक भी देखने को मिली और उन्होंने कहा कि सीएम के रूप में उन्हें चार साल पूरा करने में सिर्फ नौ दिन ही रह गए थे. 

किसी और को मौका देना चाहिएः रावत

उन्होंने कहा, 'मेरे पिता एक पूर्व सैनिक थे. बीजेपी में ही यह संभव था कि एक छोटे से गांव के अति साधारण परिवार के एक पार्टी के कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान दिया. 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया. सामूहिक रुप से यह निर्णय लिया कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 4 साल (बीजेपी शासनकाल) पूरा होने में 9 दिन रह गए हैं. इतना मौका मुझे दिया गया. मैं प्रदेश वासियों का धन्यवाद करना चाहता हूं.

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बीजेपी के कई विधायकों द्वारा नाराजगी व्यक्त करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बने रहने पर संकट जारी था. जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व बीते दो दिनों से मंथन कर रहा था. और तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीएम पद से छुट्टी हो सकती है. 

इसे पढ़ें: पर्यवेक्षक रिपोर्ट के बाद ऐसे लिखी गई त्रिवेंद्र रावत के जाने की पटकथा, 2022 चुनाव को साधने का दांव

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
अगर उत्तराखंड विधानसभा की बात करें, तो यहां कुल विधायकों की संख्या 70 है. जबकि भाजपा के पास 56 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के पास 11 और 2 विधायक निर्दलीय हैं. जबकि एक सीट अभी खाली हैं. ऐसे में भाजपा को सरकार के मोर्चे पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन पार्टी में जारी रार उसके लिए संकट का विषय है.

उत्तराखंड में अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत की छुट्टी होती है, तो किसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा इसपर भी चर्चा आम है. इनमें कई नाम सामने आ रहे हैं, जिन्हें ये जिम्मेदारी मिल सकती है. इनमें मंत्री धनसिंह रावत, मंत्री सतपाल महाराज, सांसद अजट भट्ट, सांसद अनिल बलूनी का नाम सुर्खियों में है. 

इसके अलावा राज्य में जाति के समीकरण को साधने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के फॉर्मूले को भी अपनाया जा सकता है.  

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बीजेपी ने बुलाई विधायक दल की बैठक
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के सभी पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है. बुधवार सुबह 11 बजे देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक होगी. पार्टी की ओर से रमन सिंह और दुष्यंत गौतम को बतौर पर्यवेक्षक देहरादून भेजा जाएगा. 

आपको बता दें कि उत्तराखंड में पार्टी के कई विधायकों और मंत्रियों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उसी के बाद से ही उत्तराखंड की सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं.

बीते दिन दिल्ली में कई नेताओं से मिले थे त्रिवेंद्र
पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिल्ली से पर्यवेक्षकों को भेजा गया, उसके बाद बीते दिन त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में आए. दिल्ली में उत्तराखंड सीएम ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी सांसद अनिल बलूनी समेत कई नेताओं से मुलाकात की.

भारतीय जनता पार्टी को उत्तराखंड से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पार्टी त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जाती है तो बड़ा नुकसान हो सकता है.

यही कारण है कि पार्टी मंथन करने के बाद कोई बड़ा फैसला लेने के मुकाम पर पहुंची है. त्रिवेंद्र सिंह रावत से खफा विधायकों की शिकायत रही है कि उनकी अगुवाई में सरकार और संगठन के बीच कनेक्शन टूट-सा गया है. 

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