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उत्तराखंड: चमोली में बादल फटने की वजह से भूस्खलन, 4 की मौत, 2 लापता

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. जहां मैदानों में बारिश का पानी रिहायशीइलाकों में घुस रहा है तो वहीं नदी नाले अपने पूरे उफान पर हैं.

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चमोली में फटा बादल (फोटो क्रेडिट- कमल नयन)
चमोली में फटा बादल (फोटो क्रेडिट- कमल नयन)

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उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. जहां मैदानों में बारिश का पानी रिहायशी इलाकों में घुस रहा है तो वहीं नदी नाले अपने पूरे उफान पर हैं. उत्तराखंड में लगातार हो रही इस बारिश ने अभी तक कई जिंदगियों को लील लिया है.

चमोली में एक बार फिर बादल ने अपना कहर बरपाया है. जोशीमठ मलारी रोड के करीब बादल फट गया, जिसकी वजह से जबरदस्त नुकसान हुआ है. 4 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 2 अभी भी लापता हैं. मरने वालों में एक बच्चा भी शामिल है. रेस्क्यू टीम का सर्च आपरेशन अभी भी जारी है. इसी घटना में बीआरओ के वर्कर्स कैंप को भारी नुकसान हुआ है.

बता दें कि मॉनसून का सबसे ज्यादा असर पहाड़ों पर देखने को मिल रहा है. पहाड़ों पर हर जगह भूस्खलन की खबरों में रोज बढ़ोतरी हो रही है. नदियां अपने पूरे उफान पर हैं. अलकनंदा का जल स्तर 2013 के बाद पहली बार खतरे के निशान से ऊपर है. हरिद्वार में भी गंगा ने कई घाटों को अपने आगोश में ले लिया है.

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पहाड़ों की बात करें तो सबसे बुरा हाल चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर और यमुनोत्री धाम के आस-पास के इलाकों का है, जहां बादल फटने की घटनाएं लगातार हो रही हैं. स्थानीय जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. यमनोत्री धाम को जोड़ने वाला एकमात्र पैदल रास्ता पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. हाल ही में बादल फटने से यमनोत्री की यात्रा अवरुद्ध है.

यही हाल चमोली जिले का है, जहां अलग-अलग जगहों पर बादल फटने की घटना हुई हैं. जिससे वहां एक बार फिर दहशत का माहौल है. हाल ही में चमोली जिले के घाट में बादल फटा जिससे आवाजाही के तमाम रास्ते समाप्त हो चुके हैं और स्कूल के बच्चे खतरनाक रास्तों से स्कूल जाने को मजबूर हो चुके हैं. इस घटना में अनेक वाहन इसकी चपेट में आए और अनेक घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.

मौसम विभाग की माने तो हालात जल्दी से सामान्य होने वाले नहीं हैं. क्योंकि अभी उत्तराखंड की बारिश थमने वाली नहीं है. ऐसे में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं. इस वजह से यहां रहने वाले लोगों को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है, जिससे भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सके.

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