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चमोली हादसा: रैणी गांव में दूसरी तबाही की आशंका से खौफ, पास के जंगल में रह रहे हैं लोग

ग्लेशियर के टूट जाने से काफी कुछ तबाह हो गया है. साथ ही यहां के रैणी गांव में रहने वाले लोग एक बार फिर खौफ में हैं, यही कारण है कि त्रासदी की आशंकाओं के कारण गांव वालों को जंगल में रात बितानी पड़ रही है.

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उत्तराखंड में जारी है रेस्क्यू का काम (PTI)
उत्तराखंड में जारी है रेस्क्यू का काम (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड हादसे के बाद हुई काफी तबाही
  • रैणी गांव का मुख्य रोड से कनेक्शन भी टूटा

उत्तराखंड के चमोली इलाके में हुई त्रासदी के बाद से ही राहत बचाव का काम जारी है. ग्लेशियर के टूट जाने से काफी कुछ तबाह हो गया है. साथ ही यहां के रैणी गांव में रहने वाले लोग एक बार फिर खौफ में हैं, यही कारण है कि त्रासदी की आशंकाओं के कारण गांव वालों को जंगल में रात बितानी पड़ रही है.

गांव वालों को खौफ है कि हाल ही में जो ग्लेशियर टूटा है, उसके बाद कुछ और भी त्रासदी ना हो जाए. यही कारण रहा कि रविवार की रात कई गांववालों ने जंगल में रात बिताई. जो कि लोगों के घरों से करीब दो किमी. की दूरी पर रहा और रात को यहां का तापमान 1 डिग्री के करीब तक पहुंच गया.

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मंगलवार को रैणी गांव में सर्च ऑपरेशन के दौरान दो शव भी बरामद हुए हैं. यहां पर SDRF की टीम की ओर से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

आपको बता दें कि रैणी ही वो गांव है, जहां पर 1973 में चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी. गांव वालों ने यहां पेड़ कटाई के खिलाफ आंदोलन को चलाया था और पेड़ों से ही चिपक कर खड़े हो गए थे.

सोहन राना जो कि गौरा देवी के पोते हैं, उन्होंने जानकारी दी कि रविवार को जंगलों में रहने का कारण था कि ताजा तबाही के बाद कोई जमीन ना खिसके, इस वजह से खुले में रहना ही बेहतर है.

गौरतलब है कि रविवार को हुई तबाही के बाद रैणी गांव का मुख्य सड़क से कनेक्शन कट गया है. ना ही अभी बिजली की व्यवस्था है, यही कारण है कि गांव वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से तबाही हुई. यहां काफी नुकसान हुआ और मंगलवार सुबह तक 26 लोग जान गंवा चुके हैं. 

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