उत्तराखंड के चमोली में कुदरत के कहर के बाद जिंदगी बचाने का मिशन जोर-शोर से जारी है. बचाव टीमें सुबह से दूसरी सुरंग को खोलने में जुटी हैं. अब तक मलबे से 19 शव निकाले जा चुके हैं. वहीं, रेस्क्यू टीमों ने अब तक 15 जिंदगियां बचाई हैं. पहली सुरंग से 12 लोगों को बचाया गया और दूसरी सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक आपदा में अभी भी 202 लोग लापता हैं. सुरंग में अभी तक करीब 100 मीटर तक बचाव टीमें पहुंच चुकी हैं. तबाही उत्तराखंड के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से मची. आजतक सबसे पहले ग्राउंड जीरो पर पहुंचा. रैणी गांव में तबाही का मंजर डराने वाला है. दो-दो पॉवर प्रोजेक्ट का नामोनिशान मिट गया.
हालांकि, जिस तरह की तबाही हुई है, उसकी तुलना में अभी बड़ी जनहानि की खबर नहीं है. इसके पीछे रैणी गांव के एक पॉवर प्रोजेक्ट के गार्ड की होशियारी की काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, ग्लेशियर टूटने की आवाज सुनते ही गार्ड ने सीटी बजाकर कर्मचारियों और मजदूरों को अलर्ट कर दिया था. साथ ही गांव के लोग भी अलर्ट हो गए थे.
आजतक से बात करते हुए गार्ड ने कहा कि जैसी ही ग्लेशियर टूटने की आवाज सुनाई दी, मैंने सीटी बजाकर लोगों को अलर्ट कर दिया, नीचे मौजूद लोगों से कहा कि ऊपर से सैलाब आ रहा है, इस वजह से कई लोग तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए. गार्ड की सीटी ने बड़ी जनहानि को बचा दी, लेकिन अभी भी 202 लोग लापता हैं.
आपको बता दें कि रैणी में जहां दो-दो पॉवर प्रोजेक्ट थे, वहां अब सिर्फ मलबे का अंबार है. सब कुछ तबाह हो गया. रैणी पॉवर प्रोजेक्ट में काम करने वाले 32 लोगों का कुछ भी पता नहीं है. सबसे ज्यादा नुकसान ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट को पहुंचा. यहां से 121 लोग काम कर रहे थे, किसी का भी कुछ भी पता नहीं है. सभी सैलाब के साथ बह गए.
7 फरवरी को आए इस सैलाब से जोशीमठ में तो जलस्तर 2013 की तुलना में भी काफी ऊपर पहुंच गया था. 2013 की आपदा के वक्त जोशीमठ का जलस्तर 1385 मीटर तक पहुंचा था, लेकिन ग्लेशियर टूटने अब ये 1388 मीटर तक पहुंच गया. बहरहाल, सैलाब की धार अब शांत हो गई है, लेकिन खतरे का साया अब भी बरकरार है, ग्लेशियर के टूटने से रैणी में झील बन गई है और नदियों में पानी का स्तर भी बढ़ रहा है.