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चमोली हादसा: तपोवन प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे 120 से ज्यादा कर्मचारी, सैलाब में नामोनिशान नहीं बचा

ग्लेशियर टूटने के बाद एनटीपीसी प्रोजेक्ट के पास के गांवों के 3-4 चरवाहों के भी सैलाब में बह जाने की खबर है. हादसे के बाद नदी मलबे में तब्दील हो गई है और मलबा धीरे-धीरे बह रहा है. वहीं, चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे एहितियातन बंद किया गया. 

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चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद का मंजर (फ़ोटो- पीटीआई)
चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद का मंजर (फ़ोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चमोली हादसे में NTPC प्रोजेक्ट को बड़ा नुकसान
  • हादसे में ब्रिज ध्वस्त, नदी के बहाव में बहे लोग
  • एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद एनटीपीसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोगों में से 16 लोग पास की सुरंग के अंदर फंस गए. रेस्क्यू अभियान चलाकर सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. ग्लेशियर टूटने के बाद एनटीपीसी प्रोजेक्ट के पास के गांवों के 3-4 चरवाहों के भी सैलाब में बह जाने की खबर है. हादसे के बाद नदी मलबे में तब्दील हो गई है और मलबा धीरे-धीरे बह रहा है. वहीं, चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे एहितियातन बंद किया गया.

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बता दें कि ग्लेशियर टूटने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान तपोवन के पास एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट को हुआ है, क्योंकि ग्लेशियर टूटने के बाद पानी का तेज बहाव सबसे पहले इससे ही टकराया था. इसके बाद मलारी का ब्रिज बहाव की चपेट में आया और पूरी तरह ध्वस्त हो गया. आसपास के गांव भी प्रभावित हुए. हालांकि, चमोली और श्रीनगर के कई इलाकों में आते-आते पानी का बहाव धीरे हो गया, जिससे उनको बड़ा नुकसान नहीं हुआ. 

एनटीपीसी के मुताबिक, उत्तराखंड में तपोवन के पास एक ग्लेशियर टूटने से निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना के एक हिस्से को नुकसान पहुंचा है. अभी बचाव अभियान जारी है. रैणी गांव में प्रोजेक्ट में 120 कर्मचारी रोस्टर के अनुसार साइट पर काम कर रहे थे. इसके अलावा कुछ ऐसे भी कर्मचारी थे जिनका नाम रोस्टर में नहीं था. निर्माणाधीन प्रोजेक्ट सैलाब के कारण पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. इस तबाही से तपोवन प्रोजेक्ट को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 

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फिलहाल एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया. अलकनंदा का पानी का बहाव रोका जा सके, इसलिए श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम को खाली करा दिया गया. बताया जा रहा है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से 1 मीटर ऊपर है, लेकिन बहाव कम हो रहा है.

ग्लेशियर चमोली के रैणी गांव के पास टूटा है. इस हादसे के बाद आईटीबीपी, NDRF और SDRG की टीमें मुस्तैदी से राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. ग्लेशियर फटने से जहां कई लोगों की मौत हुई है तो वहीं एनटीपीसी और ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है. एनटीपीसी एक ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसके लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारें काम कर रही थीं. ITBP, SDRF और NDRF की टीमें मौके पर पहले ही पहुंच चुकी हैं. 

ग्लेशियर टूटने के बाद पानी का बहाव अब नंदप्रयाग पहुंच गया है. राहत की बात यह है कि नंदप्रयाग पहुंचते-पहुंचते पानी का तेज बहाव अब सामान्य हो गया है. ऐसे में मैदानी इलाकों में खतरा टल गया है. हादसे को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि कुछ इलाकों में जो कि इस घटना के सीधे-सीधे प्रभाव में हैं, वहां ये साल 2013 से भी बड़ी घटना है. शेखावत ने आजतक से बातचीत करते हए कहा कि 'चमोली के रैणी गांव में पॉवर कॉपरेशन का जो प्रोग्राम चल रहा है, वहां एक ग्लेशियर के भरभराकर गिर जाने से अवलांच की स्थिति हुई है. 

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