
उत्तराखंड के चमोली में कुदरत की तबाही के बाद जिंदगी बचाने का मिशन जोर-शोर से जारी है. सुबह से दूसरी सुरंग को खोलने में बचाव टीमें जुट गई हैं. आपदा में अभी भी 153 लोग लापता हैं, जबकि मलबे से 14 शव निकाले जा चुके हैं. वहीं रेस्क्यू टीमों ने अब तक 15 जिंदगियां बचाई हैं. पहली सुरंग से 12 लोगों को बचाया गया और दूसरी सुरंग में रेस्क्यू जारी है.
गृह मंत्रालय के कंट्रोल रूम को राज्य सरकार की तरफ से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान दो पावर प्रोजेक्ट को हुआ. पहला पावर प्रोजेक्ट रेनी पावर प्रोजेक्ट है, जहां से 32 लोग लापता हैं. दूसरा पावर प्रोजेक्ट तपोवन एनटीपीसी है, जहां से 121 लोगों की जानकारी नहीं मिल पा रही है. यानी कुल 153 लोग अभी लापता हैं.
चमोली से लेकर नदी के निचले स्तर यानी डाउन स्ट्रीम तक आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसएसबी के जवानों के जरिए सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. कल छोटी टनल से 12 लोगों को आईटीबीपी के जवानों ने सुरक्षित तरीके से निकाला था. तपोवन के पास एक बड़ी टनल है, जो कि काफी घुमावदार है. इसमें 25 से 30 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
🔸#Uttarakhand #GlacierBurst Update
— ѕαtчα prαdhαnसत्य नारायण प्रधान ସତ୍ଯପ୍ରଧାନ-DG NDRF (@satyaprad1) February 8, 2021
🔸@NDRFHQ @work 24x7
🔸More teams sent to site
🔸By MI17 Helicopter
🔸From Jolly Grant ARPT,DDN
🔸#CloseCoordWithAgencies #Committed2Help 🇮🇳@PMOIndia @HMOIndia @BhallaAjay26 @PIBHomeAffairs @PIBDehradun @HQ_IDS_India @adgpi pic.twitter.com/2aI5P1KSsE
इस टनल में मलबा दोनों तरफ से फंसा है. आईटीबीपी के जवान मैप के जरिए पूरी जानकारी हासिल कर रहे हैं. आईटीबीपी के अधिकारी और लोकल प्रशासन टनल के मैप के जरिए पूरी जानकारी और लोकेशन लोकेट कर रहे हैं. मलबे को हटाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही डॉग स्क्वॉड की भी मदद ली जा रही है.
मलबे में जिंदगी की तलाश के लिए बचाव टीम हर मुमकिन कोशिश में लगी है. मशीनें पूरी रफ्तार में हैं, तो ITBP की डॉग स्क्वॉड भी मौके पर पहुंच चुकी है. मौके की तस्वीरें बता रही हैं कि हालात बेहद मुश्किल हैं. कुदरत की विनाशलीला झेलने वाली इस धरती के चप्पे चप्पे पर उस तबाही के निशान मौजूद हैं.
जब तबाही आई उस वक्त जोशीमठ में जलस्तर 1388 मीटर पहुंच गया था, जबकि 2013 की केदारनाथ आपदा के वक्त जोशीमठ में जलस्तर 1385 मीटर था. तबाही के बाद तपोवन में करीब 30-35 फीट तक मलबे की परत जमी है. रेस्क्यू के दौरान मलबा धंसने का भी खतरा है. तबाही भले चली गई लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है.