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उत्तराखंड: चमोली एवलांच में 46 मजदूर सुरक्षित निकाले, 8 की मौत... 10 पॉइंट्स में पढ़ें हादसे की पूरी टाइमलाइन

चमोली जिले के माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन में कुल 54 मजदूर बर्फ में दब गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन 8 मजदूरों की मौत हो गई है. रविवार को रेस्क्यू टीम ने आखिरी लापता मजदूर का शव भी बरामद कर लिया. आधुनिक तकनीक और हवाई सहायता के जरिए बचाव दल लगातार खोज में जुटा था.

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चमोली जिले में हुए हिमस्खलन में 8 मजदूरों की मौत हो गई
चमोली जिले में हुए हिमस्खलन में 8 मजदूरों की मौत हो गई

उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के कैंप में भीषण हिमस्खलन ने शुक्रवार को तबाही मचा दी थी. इस हादसे में कुल 54 मजदूर बर्फ में दब गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन 8 मजदूरों की मौत हो गई है. रविवार को रेस्क्यू टीम ने आखिरी लापता मजदूर का शव भी बरामद कर लिया. आधुनिक तकनीक और हवाई सहायता के जरिए बचाव दल लगातार खोज में जुटा था. पढ़िए माणा एवलांच की पूरी टाइमलाइन...

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1. 46 मजदूर सुरक्षित, 8 की मौत

माणा एवलांच में अब तक कुल 46 मजदूरों को सुरक्षित बचाया गया है, जबकि 8 मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है. मरने वालों में हिमाचल प्रदेश के मोहिंदर पाल और जितेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश के मनजीत यादव और उत्तराखंड के आलोक यादव शामिल हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन के तीसरे दिन बचाव एजेंसियों ने आखिरी लापता मजदूर का शव बरामद कर लिया.

2. मौसम बना बड़ी बाधा

हिमस्खलन की घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था, लेकिन शुक्रवार को भारी बर्फबारी और बारिश के कारण बचाव कार्य बाधित हुआ, जिसके कारण रातभर अभियान स्थगित करना पड़ा. हालांकि, रविवार को मौसम साफ होने के बाद एजेंसियों ने आखिरी मजदूर को खोजने के प्रयास फिर से शुरू कर दिए.

3. 200 से ज्यादा बचावकर्मी तैनात

भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें रेस्क्यू में जुटी रहीं. 200 से अधिक कर्मियों को इस हाई-इंटेंसिटी वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया था. इसके अलावा, बचाव कार्यों में मदद के लिए खोजी कुत्तों को भी चमोली भेजा गया था.

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4. लापता मजदूरों की संख्या घटी

शुरुआत में पांच मजदूरों के लापता होने की सूचना मिली थी. लेकिन, हिमाचल प्रदेश के सुनील कुमार अपने आप सुरक्षित घर पहुंचने में कामयाब रहे, जिससे लापता मजदूरों की संख्या घटकर चार रह गई. एजेंसियों ने तीन और मजदूरों को बचा लिया, लेकिन वे फंसे हुए आखिरी मजदूर को नहीं बचा पाए.

5. मजदूरों के कंटेनर बर्फ में दबे

हिमस्खलन में बीआरओ कैंप के 8 मजदूरों के आवास (कंटेनर) बर्फ में दब गए थे. पहले 5 कंटेनर मिले थे, बाकी 3 कंटेनर शुक्रवार को खोजे गए. इनमें कोई मजदूर नहीं मिला, जिससे चिंता बढ़ गई.

6. आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल

राहत दलों ने विक्टिम लोकेटिंग कैमरा (VLC), थर्मल इमेजिंग कैमरा, दिल्ली से मंगाई गई ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार (GPR) और एवलांच रेस्क्यू डॉग्स का सहारा लिया.

7. हेलिकॉप्टर से राहत कार्य

सेना के 3, वायुसेना के 2 और एक सिविल हेलिकॉप्टर राहत कार्य में लगाए गए. वायुसेना के चीता हेलिकॉप्टर घायलों को जोशीमठ स्थित सेना अस्पताल पहुंचाते रहे.

8. हाईवे पर भी बर्फबारी का असर

बद्रीनाथ-जोशीमठ हाईवे 15 से 20 स्थानों पर ब्लॉक हो गया, जिससे सड़क मार्ग से बचाव दलों को पहुंचने में दिक्कत हुई. सेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने रेस्क्यू टीम और उपकरणों को मौके पर पहुंचाया.

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9. ड्रोन तकनीक से खोज अभियान

एक फंसे हुए मजदूर की तलाश में सहायता के लिए माना में ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंट बरीड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन (DIBOD) सिस्टम भी तैनात किया गया था. इस सिस्टम का इस्तेमाल पहले वायनाड में धरती की सतह के नीचे मानवीय मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया गया था, जिससे चल रहे बचाव प्रयासों में मदद मिलने की उम्मीद थी.

10. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का रेस्क्यू ऑपरेशन पर फोकस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटनास्थल का हवाई सर्वेक्षण किया और राहत टीमों की सराहना की. उन्होंने अधिकारियों को युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी रखने के निर्देश दिए. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति की जानकारी ली और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया. 

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