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उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी CM तो बन गए, लेकिन BJP में अब भी सब ठीक नहीं हुआ!

रविवार को पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली. उनके साथ 11 और विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. धामी को सीएम चुने जाने से पार्टी के कई सीनियर नेता नाराज थे, लेकिन शपथ लेने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.

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धामी उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं. (फोटो-PTI)
धामी उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं. (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • धामी के साथ 11 विधायकों ने भी ली शपथ
  • धामी के सीएम चुने जाने से पार्टी में नाराजगी
  • चुनाव से पहले धामी को सबको साथ लाना होगा

45 साल के पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने रविवार को उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री (Chief Minister of Uttarakhand) के तौर पर शपथ ले ली. शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने 'संवैधानिक संकट' का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 

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रविवार को धामी के साथ 11 और बीजेपी विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. इनमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, बंसीधर भगत, यशपाल आर्या, बिशन सिंह चौपाल, सुबोध उनियाल, धन सिंह रावत, अरविंद पांडे, गणेश जोशी, रेखा आर्या और स्वामी यतीश्वरानंद शामिल हैं.

लेकिन शपथ ग्रहण समारोह (Oath Taking Ceremony) से पहले काफी हलचल रही. शनिवार को बीजेपी (BJP) ने अचानक मुख्यमंत्री के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान कर दिया. इससे सियासी हलकों में खलबली मच गई, क्योंकि इस बात की किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी. देहरादून में पार्टी हेडक्वार्टर में धामी के नाम का ऐलान होते ही सबसे पहले विधायक दल की बैठक छोड़ने वालों में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्या शामिल थे. उन्होंने बाहर निकलते वक्त मीडिया से भी बात नहीं की.

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एक दिन पहले पुष्कर सिंह धामी के नाम की कहीं चर्चा भी नहीं था. इस बात का किसी को अंदाजा भी नहीं था कि उनको सीएम की कुर्सी मिल जाएगी. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों का मानना था कि इस बार सतपाल महाराज या फिर धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

धामी के नाम का ऐलान होते ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात से भी नाराज हैं कि उन्हें उनके साथ काम करना होगा, क्योंकि धामी के पास प्रशासनिक अनुभव की भी कमी है. शनिवार को इंडिया टुडे से बात करते हुए धामी ने कहा, "हमारी पार्टी में संवैधानिक प्रक्रिया और लोकतंत्र है. लेकिन पार्टी समय और परिस्थितियों के आधार पर फैसला लेती है. कई सीनियर जो (मुख्यमंत्री पद के) दावेदार थे, वो मुझसे कहीं ज्यादा सक्षम हैं. मैं राज्य और पार्टी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ काम करूंगा."

पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र से आने वाले ठाकुर हैं. कई लोगों का मानना है कि बीजेपी ने जातीय और क्षेत्रीय गणित बैठाने के लिए उनका नाम चुना है. बीजेपी ने मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ब्राह्मण और धामी को सीएम बनाकर ठाकुरों को साधने की कोशिश की है. ये सब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. लेकिन अगर धामी को अपने सहयोगियों का साथ नहीं मिला तो ये गणित फेल हो जाएगा.

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रविवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले मदन कौशिक के घर पर विधायकों का आना-जाना लगा है. इनमें धन सिंह रावत और बिशन सिंह चौपाल जैसे नेता भी शामिल थे, जो शनिवार तक खुद को अगले सीएम के रूप में देख रहे थे. बाद में मीडिया से बात करते हुए 66 साल के चौपाल ने धामी को लेकर कहा, "उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया है और मुख्यमंत्री बनने के लिए आपको शपथ लेनी होती है." हालांकि, यहां ये साफ नहीं था कि यहां उनकी जुबान फिसली या फिर ये पार्टी के हाईकमान को जानबूझकर भेजा गया एक संदेश था.

अगर पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने इसमें दखल नहीं दिया होता तो रविवार को शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता. क्योंकि सूत्रों ने बताया था कि सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और यशपाल आर्या जैसे नेता समारोह में शामिल नहीं होने का मन बना चुके थे. ये सब तभी हुआ जब दिल्ली के नेताओं ने इनसे बात की.

लेकिन ये सब कब तक ठीक रहेगा? चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) में अब 7 महीने से भी कम वक्त बचा है. पुष्कर सिंह धामी को अब काम करना होगा और अपने सहयोगियों के साथ-साथ वोटरों का भरोसा जीतना होगा या फिर हो सकता है कि बहुत से नेता उनसे नाराजगी के चलते पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ भी थाम सकते हैं. बहरहाल इस पूरे मामले पर पार्टी के अंदरूनी सूत्र कहते हैं, "वेट एंड वॉच".

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