उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार पुष्कर सिंह धामी सत्ता की कमान संभालकर राजनीतिक इतिहास रचने जा रहे हैं. सूबे में बीएस खंडूरी के बाद दूसरे नेता हैं, जो दूसरी बार सीएम बनेंगे. सेना के सूबेदार शेर सिंह के घर जन्में पुष्कर सिंह धामी बुधवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर धामी ने अपना लोहा मनवा दिया है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Dhami RSS background) के आंगन में पले-बढ़े पुष्कर सिंह धामी की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी से लेकर सीएम की कुर्सी तक का सफर तय करने वाले पुष्कर सिंह धामी के सिर फिर से ताज सजने जा रहा है. मुख्यमंत्री के तौर पर सात महीने के अंदर पुष्कर सिंह धामी ने खुद को साबित करने के साथ-साथ बीजेपी की सत्ता में वापसी कराकर सारे मिथक तोड़ दिए हैं. यही वजह है कि उन्हें हार के बाद भी सीएम के लिए चुना गया है.
सेना के सूबेदार के घर जन्में धामी
पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ के कनालीछिना में 16 सिंतबर 1975 को हुआ था. उनके पिता शेर सिंह सेना में सूबेदार थे. पिथौरागढ़ में ही धामी ने पांचवीं तक पढ़ाई की और इसके बाद पूरा परिवार खटीमा शिफ्ट हो गया. 12वीं पढ़ाई के बाद धामी ने लखनऊ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. लखनऊ से उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन एवं औद्योगिक संबंध में स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई की.
छात्र जीवन से सियासत में रखा कदम
धामी के परिवार में दूर-दूर तक कोई राजनीति में नहीं था, लेकिन छात्र जीवन से ही उन्होंने सियासत में कदम रख दिया था. धामी ने लॉ की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे आरएसएस से एक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े. वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. इसके बाद बीजेपी के युवा मोर्चा में शामिल हुए. धामी 2002 से 2008 के बीच में उत्तराखंड बीजेपी युवा मोर्चा के दो बार अध्यक्ष भी रहे.
बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहते हुए धामी ने स्थानीय युवाओं के लिए उद्योगों में नौकरियों के आरक्षण के लिए आंदोलन किया. इसका नतीजा रहा कि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने प्रदेश के उद्योगों में 70 फीसदी नौकरी स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित कर दी. यहीं से उन्होंने बीजेपी संगठन में अपनी सियासी जड़ें मजबूत की और अपनी पहचान पूरे प्रदेश में बनाने में सफल रहे.
सीएम के OSD से सीएम तक का सफर
पुष्कर धामी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से आते हैं और राजपूत जाति से हैं. वे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाते हैं. साल 2001 में जब भगत सिंह कोश्यारी 122 दिन के लिए मुख्यमंत्री थे, तब धामी उनके विशेष कार्यधिकारी यानी ओएसडी थे. माना जाता है कि धामी को सियासी तौर पर आगे बढ़ाने में कोश्यारी की अहम भूमिका रही है.
सूबे में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री
कोश्यारी की पैरवी पर पुष्कर सिंह धामी को 2012 में पहली बार खटीमा सीट से विधानसभा का टिकट मिला और जीतकर विधायक बने. इसके बाद 2017 में दूसरी बार विधायक चुने गए. उत्तराखंड में 2021 में बीजेपी ने सीएम बदलने का सियासी प्रयोग किया तो धामी की किस्मत खुली. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत को बीजेपी ने हटाकर जुलाई 2021 में पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. तब उनकी उम्र 45 साल थी. इस तरह धामी के नाम उत्तराखंड का सबसे कम उम्र का मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तीसरी बार उधमसिंह नगर की खटीमा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन हैट्रिक नहीं लगा सके. हालांकि, धामी बीजेपी उत्तराखंड की सत्ता में वापसी कराने में कामयाब रहे, क्योंकि पार्टी उन्हें आगे करके चुनावी मैदान में उतरी थी. खास बात ये है कि सीएम बनने से पहले धामी कभी मंत्रिमंडल में मंत्री तक भी नहीं रहे थे. संघ के कार्यकर्ता से राजनीति की शुरुआत करने वाले धामी के सिर फिर से सीएम का ताज सजने जा रहा है. ऐसे में उनके सामने बीजेपी के एजेंडे को अमलीजामा पहनाने का बीढ़ा है.