यूनिफॉर्म सिविल कोड इन दिनों चर्चा का विषय है. इसकी सुगवुगाहट उत्तराखंड से शुरू होते हुए पूरे देश में है. उत्तराखंड में तो राज्य सरकार UCC को लेकर आखिरी चरण में आ गई है. इस मुद्दे पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आजतक से विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि हमारे लिए UCC का मुद्दा आज या कल का नहीं है. हम 2022 के विधानसभा चुनावों में भी इसी मुद्दे को लेकर उतरे थे. हमने 2022 के चुनाव में UCC लाने के वादा किया था. हमने जनता से वादा किया था कि नई सरकार का गठन होते ही UCC का ड्राफ्ट बनाने के लिए एक कमेटी का गठन करेंगे. सरकार बनते ही हमने ड्राफ्ट के लिए कमेटी तैयार की.
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संविधान की धारा 44 में UCC का प्रावधान है, जिसके तहत राज्य सरकारें UCC लागू कर सकती हैं. सीएम धामी के मुताबिक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बने कानून में धारा 44 का जिक्र है. इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हमारे राज्य में UCC की कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. सीएम धामी ने स्पष्ट कहा कि सिर्फ राजनीति करने वालों को हमारे फैसले से दिक्कत है. ओवैसी जी की पॉलिटिक्स ही विरोध वाली रही है, तो उन्हें दिक्कत होना स्वाभाविक है. ये कानून सबके भले के लिए है. इसमें राजनीति का कोई विषय नहीं है.
उत्तराखंड में यूसीसी की रिपोर्ट बस एक कदम दूर
बताते चलें कि उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. अगले हफ्ते संभव है विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दे. विशेषज्ञ समिति की चेयरपर्सन सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने बताया कि रिपोर्ट पूरी तरह से तैयार है. अब उसकी छपाई चल रही है. पिछले दो साल से विशेषज्ञ समिति की 63 मीटिंग हुई हैं. जबकि आम लोगों तक पहुंचकर बातचीत कर आंकड़े जुटाने के लिए बनाई गई उप समिति ने 143 से ज्यादा मीटिंग कीं. UCC को लेकर 4 जुलाई 2022 को पहली बैठक हुई थी. सब कमेटी ने राज्य के सुगम और दुर्गम सभी हिस्सों में लोगों से संपर्क कर अपनी रिपोर्ट दी है.
जस्टिस देसाई ने कहा कि UCC पर कमेटी का ड्राफ्ट तैयार है, जल्दी ही उसे प्रकाशित किया जाएगा. एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य और उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न ने बताया कि कमेटी ने UCC को लेकर जनता का विचार जानने को सब कमेटी बनाई थी. सब कमेटी ने सबसे पहले सीमांत क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में लोगों से मिलकर विचार जाने. सबसे आखिर में दिल्ली-एनसीआर में बसे उत्तराखंड मूल के लोगों से बैठक कर उनके विचार जाने. व्यक्तिगत मामलों को नियमित करने वाले कानूनों का भी अध्ययन किया है.
अब और कितना समय?
सब कमेटी की रिपोर्ट का प्रकाशन होने के बाद उसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा. कमेटी के पास 2 लाख 31 हजार से ज्यादा लोगों ने लिखित विचार हैं. UCC को लेकर 20 हजार से ज्यादा लोगों से विचार लिए गए हैं. राज्य के आदिवासी समूहों और समाज से भी बात की है. हमें बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला है. कुछ विरोध भी हुआ. हमने सबका अपनी रिपोर्ट में समावेश किया है.
अवैध मजारों पर सीएम धामी का एक्शन
मजारों के मुद्दे पर सीएम धामी ने कहा कि अवैध कब्जों वाली जगह पर प्रशासन ने एक्शन लिया है. इसमें कोई धर्मिक एंगल नहीं है. इन्हें चिन्हित कैसे किया गया? इस सवाल के जवाब में सीएम धामी ने कहा जितनी भी सरकारी जमीनें थीं, उन जगहों पर जाकर निरीक्षण किया गया. पहले प्रशासन ने नोटिस भेजा. कई लोगों ने मजारें खुद ही हटा लीं. कई लोगों ने सख्त रुख अपनाया तो प्रशासन ने अपने तरीके से डील किया है.
धर्मांतरण के मुद्दे पर क्या बोले CM धामी
धर्मांतरण के मुद्दे पर सीएम धामी ने कहा, कि उत्तराखंड शांत प्रदेश है. पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं. हम कानून के जरिए इस तरह के मामलों से निपट रहे हैं. हम इन मामलों की बढ़ोतरी को देखते हुए धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आए हैं.