उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में बढ़ते पलायन को रोकने के लिए अब सोशल मीडिया का सहारा लिया है. उन्होंने #SelfieFromMyVillage नाम से ट्विटर पर एक अभियान शुरु किया. इस अभियान के तहत उन्होंने गर्मी की छुट्टी में उत्तराखंड से पलायन कर चुके लोगों को वापस उनके गांव आने का निंमत्रण दिया.
रावत ने ट्वीट करके कहा कि, समय समय पर पलायन का मुद्दा उठता रहता है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार के प्रति आशा अपनी जगह सही भी है और सरकार इससे निबटने को वचनबद्ध है.एक काम,जो हर प्रदेशवासी-जिसका जुड़ाव कभी ना कभी पहाड़ से रहा है- वो इन गरमियों में कर सकता है -आप अपने और अपने बच्चों को अपने गाँव ले जाएँ
— Trivendra S Rawat (@tsrawatbjp) June 1, 2017
उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति किसी भी तरह से पहाड़ों से जुड़े हुऐ है. वो गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अपने पैतृक गांवों का दौरा करने के लिए आये. अपने बच्चों को यहां लेकर आये. तो इससे उनका नाता अपने गांवों से जुड़ेगा. साथ ही गांवों में आवागमन बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि मैं हर किसी को उत्तराखंड के गांवों में अपने बच्चों के साथ जाने के लिए अनुरोध करता हूं. उनका कहना है कि कि ये छुट्टियां आपके बच्चों को अपने पैतृक गांव से जोड़गे. जिनके बारे में उन्हें पता ही नहीं है.
हर तस्वीर एक कहानी बोलेगी - और #SelfieFromMyVillage हैश्टैग उत्तराखंड के एक बिलकुल अलग स्वरूप को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे लाएगा
— Trivendra S Rawat (@tsrawatbjp) June 1, 2017
बुनियादी ढांचे के ठीक ना होना पलायन का मुख्य कारण
उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों में, उत्तराखंड में लगातार बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है. कुछ गांवों को छोड़कर ज्यादातर गांवों में सड़कों, अस्पतालों और स्कूलों जैसे बुनियादी ढांचे की कमी है. पलायन का मुख्य कारण बुनियादी ढांचें की कमी है. उन्होंने कहा उत्तराखंड से जो लोग पलायन कर चुके है. मैं उनको निमंत्रित करता हूं कि अपने मित्रों और परिवार के साथ अपने गांवों में घूमने के लिए आओं और उत्तराखंड की सहायता करें.
सोशल मीडिया पर तेजी से चला अभियान
ये अभियान ने सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से ट्रेंड करने लगा. कई लोगों ने पहाड़ी राज्य में अपने पैतृक गांवों से फोटो अपलोड किये. साथ ही मुख्यमंत्री को टैग भी किया. एक प्रवासी योगेश धामी ने ट्विटर पर बर्फ में पहाड़ों के साथ अपने गांव कांडा से बहुत सारे फोटो अपलोड किए. साथ ही उन्होंने लिखा कि ये फोटोज न तो स्विट्जरलैंड और न ही कश्मीर की हैं. उन्होंने दूसरे लोगों को अपने-अपने गांव जाने का आग्रह किया.