उत्तराखंड की महिला शिक्षक उत्तरा बहुगुणा और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रकरण में आज 3 दिन बाद सरकार की ओर से पक्ष रखा गया. उत्तराखंड सरकार की तरफ से बीजेपी MLA मुन्ना सिंह चौहान ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की कोई गलती नहीं की है. उनके मुताबिक सीएम ने महिला को शालीनता से समझाने का प्रयास किया था.
उन्होंने कहा कि, 'महिला शिक्षक वहां हंगामा खड़ा करने के पूर्वनियोजित इरादे से आईं थीं.' मुन्ना सिंह के मुताबिक सीएम का व्यवहार गरिमापूर्ण था, शिक्षिका ने ही गलत व्यवहार किया और अपनी सीमाएं लांघी. परिणामस्वरूप सीएम ने महिला पर मामूली कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
आजतक के सवालों का जवाब देते हुए मुन्ना सिंह ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री एक हायर अथॉरिटी हैं, उन्होंने गलत व्यवहार करने वाली महिला पर बहुत मामूली कार्रवाई की है. यह पूछे जाने पर कि क्या सीएम का व्यवहार मर्यादित था तो मुन्ना सिंह ने कहा कि, 'सीएम का पद सुप्रीम पोजीशन है उनकी जांच कैसे की जा सकती है?'
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. आजतक से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने कहा कि उनके समय में उत्तरा बहुगुणा को जो नोटिस दिया गया वह विभाग के द्वारा दिया गया. जोकि नियमों के आधार पर था, लेकिन जो बीजेपी सरकार ने जो किया वह बदले और अहंकार में चूर होकर किया है. उन्होंने कहा कि वो जनता दरबार नहीं राज दरबार था.
इसके अलावा उन्होंने सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि सरकार के दो कानून है एक आम आदमी के लिए और दूसरा बीजेपी के लोगों के लिए. उन्होंने कहा कि बीजेपी से संबंध रखने वालों के तबादले उनकी मनपसंद जगहों पर पहले ही किए जा चुके हैं.
उत्तराखंड के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरबार में एक महिला न्याय पाने के लिए फरियाद लेकर आई थी, लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उसे सस्पेंड होकर जाना पड़ा. इस घटना के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार सुर्खियों में बना हुआ है.