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उत्तराखंड: हार के बाद अब कांग्रेस में कलह, नई नियुक्तियों के खिलाफ कई विधायक बगावती राह पर

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार से कांग्रेस हताश के साथ-साथ अब अंदुरूनी कलह से भी जूझ रही है. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के द्वारा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन के बाद कांग्रेस के कई विधायकों ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है. हरीश धामी ने मुख्यमंत्री धामी के लिए अपनी सीट तक छोड़ने का ऐलान कर दिया है तो प्रतीम सिंह नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने के चलते नाराज माने जा रहे हैं.

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सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिलते हरीश धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी से मिलते हरीश धामी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं रही
  • नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से प्रीतम सिंह नाराज चल रहे
  • मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के लिए हरीश धामी ने सीट छोड़ेंगे

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में कलह मची थमने का नाम नहीं ले रही है. चुनाव नतीजे के बाद से हरीश रावत और प्रीतम सिंह पर गुटबाजी कर चुनाव हारने और हराने के आरोप लगे तो सियासी घमासान छिड़ गया. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर की गई नियुक्ति के खिलाफ कांग्रेस के 8 से 10 विधायकों ने नाराजगी जताई जा रही है.  

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विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के पीछे कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी को ही वजह माना गया था. नई नियुक्तियों के बाद पैदा हुई नाराजगी का मामला हाईकमान तक भी पहुंच गया है. उत्तराखंड में चुनाव से कुछ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल की जगह अब करण माहरा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. माहरा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साले हैं और इस विधानसभा चुनाव में रानीखेत की सीट से चुनाव हारे हैं. 

उत्तराखंड में तीनों ही बड़े पदों पर हाईकमान ने कुमाऊं के नेताओं की नियुक्ति कर दी है और इससे गढ़वाल मंडल के कई नेता खासे नाराज हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 19 विधायक जीत कर आए हैं, पर नई नियुक्तियों से कई नेता नाराज हैं. ऐसा लगभग तय था कि अध्यक्ष का पद कुमाऊं के खाते में गया तो नेता प्रतिपक्ष का पद गढ़वाल मंडल को मिलेगा. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की नियुक्ति लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन हाईकमान ने कांग्रेस में वापसी करने वाले यशपाल आर्य को यह पद दिया गया है. 

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नई टीम की घोषणा के बाद सबसे ज्यादा नाराज विधायक हरीश धामी है, जो कांग्रेस की हार की जिम्मेदार कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव को बता रहे हैं और साथ ही दलबदल की ओर भी इशारा कर रहे हैं. वहीं, नए प्रदेश अध्यक्ष बने करन महारा ने साफ तौर पर कहा कि वो किसी दबाव में काम नही करने वाले हैं. साथ ही उन्होंने बागी तेवर दिखा रहे विधायकों से भी साफ कहा कि वो विधायक है कोई खुदा नही है. माहरा का कहना है कि जनता ने आपको वोट संगठन की रीति नीति और चुनाव चिन्ह को देखकर दिया है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद अगर आप दलबदल जैसी बात करते है तो वो आम जनता के साथ छलावा है.

संगठन में नए नामों की घोषणा होने के बाद से ही विधायक मुखर होकर राष्ट्रीय नेतृत्व पर आरोप लगा रहे है. हरीश धामी ने साफ कह दिया है कि चुनाव हारने के मुख्य कारण प्रभारी देवेंद्र यादव है उनकी वजह से कांग्रेस चुनाव हारी है .ऐसे में आलाकमान को चाहिए था कि जब प्रदेश अध्यक्ष पद से गणेश गोदियाल को हटाया गया तो उससे पहले प्रदेश प्रभारी को हटाया जाना चाहिए था, लेकिन प्रदेश प्रभारी को नहीं हटाया गया. 

हरीश धामी अपनी उपेक्षा से काफी नाराज हैं और उनका कहना है कि जिस तरीके से बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद भी एक युवा को चेहरा बनाया उसी तरह कांग्रेस को भी युवा चेहरे को आगे करना चाहिए था. हरीश धामी ने कहा कि जिन्हें यह दायित्व सौंपा गया है उनसे वह नाराज नहीं है, लेकिन मेरिट के आधार पर दायित्व दिए जाने की अगर बात कही जा रही है तो मेरिट में सबसे ऊपर उनका नाम आना चाहिए था.

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कांग्रेस के इस फैसले से सिर्फ एक नहीं बल्कि कई विधायक नाराज चल रहे हैं और जल्द ही इस पूरे मामले को लेकर सभी विधायक बैठक करेंगे और बैठक में जो निर्णय होगा वह लेंगेय. हरीश धामी ने साथ ही कहा कि अब उन्होंने मन बना लिया है कि कांग्रेस का झंडा नहीं उठाएंगे क्योंकि कांग्रेस ने उनके साथ नाइंसाफी की है. 

उन्होंने कहा कि अब वो कांग्रेस के लिए काम नही कर सकते. अलग पार्टी बनाकर भी काम किया जा सकता है. अगर उनके क्षेत्र की जनता चाहेगी तो पुष्कर धामी के लिए भी सीट छोड़ने को तैयार हैं. दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह भी गुटबाजी के नाम पर उनकी तरफ इशारे से आलाकमान से नाराज दिखाई दे रहे हैं. उनका भी कहना है कि अगर उनको लेकर गुटबाज़ी सिद्ध हो जाती है तो वो बिना देर किए अपनी विधायकी से इस्तीफा दे देंगे . 

वही, बीजेपी भी कांग्रेस के इन विधायकों पर नजर बनाए हुए है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस मुक्त प्रदेश होने वाला है तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अगर कांग्रेस से कोई उसका स्वागत है. मतलब साफ है कि कांग्रेस की इस अंतर्कलह ने उत्तराखंड में तो कांग्रेस को काफी पीछे धकेल दिया है. वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सभी पुराने चेहरों को हटा नए चेहरों को लाकर एक प्रयोग जरूर किया है.

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