उत्तराखंड में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते नजर आ रहा हैं .राजधानी देहरादून में अब तक 600 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से कुछ लोग डेंगू के चलते अपनी जान भी गवां चुके हैं. डेंगू से पीड़ित मरीजों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है. आलम यह है कि जिस स्वास्थ्य विभाग पर लोगों को इस बीमारी से बचाने की जिम्मेदारी है, उसी स्वास्थ्य विभाग के आला डॉक्टर भी डेंगू की चपेट में आ चुके हैं.
वहीं इस बीमारी के चलते एक डॉक्टर को अपनी जिंदगी तक गवानी पड़ गई. प्रदेश के राजनेता भी डेंगू से अछूते नहीं हैं. नगर प्रशासन भी लगातार फॉगिंग के जरिए डेंगू के लार्वा को खत्म करने की कोशिश कर रहा है. इन सब कोशिशों के वाबजूद भी डेंगू के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं जो स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में डेंगू ने अपने पैर जमा लिए हैं. राजधानी में डेंगू के मरीजों की संख्या 600 पार पहुंच चुकी है, डेंगू से अब तक 4 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, जिनमें स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक डॉक्टर भी शामिल है. वहीं कांग्रेस के केदारनाथ विधायक मनोज रावत की पत्नी भी इसकी चपेट में आ चुकी हैं. हालांकि प्रशासन लगातार दावे कर रहा है कि डेंगू की रोकथाम के लिए लगातार कोशिश की जा रही है.
प्रशासन का कहना है कि जगह-जगह फॉगिंग की जा रही है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों को जागरुक कर रही हैं लेकिन फिर भी डेंगू का डंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बता दें कि सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद ही स्वास्थ्य विभाग संभाल रहे हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन दोनों पर ही सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी डेंगू का डंक काबू में आने का नाम नहीं ले रहा है.
डेंगू की समस्या से जहां प्रशासन परेशान है तो वहीं राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के टेक्नीशियन कर्मचारी बीते 6 महीने से वेतन न मिलने से हड़ताल पर चले गए हैं. ऐसे में दून अस्पताल का कामकाज ठप पड़ गया है. आपको बता दें कि डेंगू से प्रभावित सबसे ज्यादा मरीज दून अस्पताल में भर्ती हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की हालात और खराब हो चुकी है.