उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिसमें अब तक एक विदेशी नागरिक समेत 9 लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं, जबकि 19 लोग अस्पताल में भर्ती हैं. वहीं, सूबे में दिन प्रति दिन बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के मरीजो की संख्या से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया है. साथ ही देहरादून के चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) ने भी स्वाइन फ्लू को लेकर सभी स्कूल और कॉलेजों को एडवाइजरी जारी की है.
सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वो छात्रों को स्वाइन फ्लू को लेकर सचेत कर दें और उनको इससे बचने के उपाय भी बताएं. सूबे में स्वाइन फ्लू के वाइरस के प्रकोप से न सिर्फ स्वास्थ्य महकमे की नींद उड़ी हुई है, बल्कि लोगों के लिए यह वायरस जानलेवा भी साबित हो रहा है. राज्य की राजधानी देहरादून के अस्पतालों में ही स्वाइन फ्लू के 6 मरीजों का इलाज चल रहा है. इनको मिलाकर पूरे प्रदेश में 19 स्वाइन फ्लू के मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हैं. इसके अलावा बीते 17 दिनों मे स्वाइन फ्लू के कारण 9 मरीजों की मौत हो चुकी है. मृतकों में एक फ्रांस का नागरिक भी शामिल है. मृतक फ्रांसीसी नागरिक की पहचान 72 वर्षीय पियरे रेनियर्स के रूप में हुई है.
स्वाइन फ्लू से सबसे ज्यादा 6 मौतें देहरादून के श्री महंत इंद्रेश हॉस्पिटल मे हुई हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य महकमे ने 7 सदस्यीय डॉक्टरों की एक टीम का गठन किया है, जो श्री महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू से हुई 6 मौतों का डेथ ऑडिट करेगी. बताया जा रहा है कि ये टीम स्वाइन फ्लू से एक ही अस्पताल में हुई 6 मौतों के कारणों की समीक्षा करेगी.
वहीं, देहरादून के सीएमओ का कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए शुगर, किडनी, हार्ट और लिवर के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से परहेज करने के साथ ही हाइजीन यानी साफ सफाई के लिए गाइड लाइन जारी की गई हैं.
आपको बता दें कि पिछले साल भी यहां स्वाइन फ्लू से 3 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन इस बार स्वाइन फ्लू के प्रकोप से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ गया है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी परेशान नजर आ रहा है. सूबे में इस बार मरीजों की संख्या और उस पर लगातार बढ़ता मौत का आंकड़ा भी बेहद चिंता का विषय है. प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाल रहे हैं. यहां सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर विभाग के आलाधिकारी अब तक कैसे इस बीमारी से निपटने में नाकाम साबित होते रहे? इन मौतों से पहले स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं जागा?