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देवभूमि उत्तराखंड को नशे से बचाने के लिए हाईकोर्ट के जजों ने चलाई मुहिम

प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉक्टर ज्ञानेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में नशा लगातार अपनी जड़ें जमा रहा है. नशे को लेकर अपनी गहरी चिंता जताते हुए हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने इस अभियान की पहल की है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • मुख्य जजों ने शुरू किया 'संकल्प नशामुक्त देवभूमि' नाम से अभियान शुरू
  • प्राधिकरण की मांग, 13 जिलों में नि शुल्क नशा मुक्ति केंद्र हो स्थापित

हाईकोर्ट के जजों ने देवभूमि उत्तराखंड को नशा मुक्त करने की मुहिम शुरू की है. इस मुहिम के लिए नैनीताल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन नें  'संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि' अभियान की शुरुआत की. यह पहली बार है जब नशे के खिलाफ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सहित जज सुधांशु धुलिया, लोकपाल सिंह के द्वारा यह पहल की गई है.

संकल्प नशामुक्त देवभूमि की शुरुआत?

देहरादून ओएनजीसी सभागार से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अन्य मुख्य जजों के साथ मिलकर 'संकल्प नशामुक्त देवभूमि' नाम से अभियान शुरू किया. नशे के खिलाफ चीफ जस्टिस के इस अभियान का पुलिस विभाग, कई शिक्षण संस्थानों सहित तमाम संस्थानों ने सहयोग किया है. इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, DG, LO अशोक कुमार सहित तमाम पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी भी मौजूद रहे.  इन सभी लोगों इस अभियान के तहत देव भूमि को नशा मुक्त करने का संकल्प लिया.

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प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉक्टर ज्ञानेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में नशा लगातार अपनी जड़ें जमा रहा है. नशे को लेकर अपनी गहरी चिंता जताते हुए हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने इस अभियान की पहल की है. ज्ञानेन्द्र शर्मा के मुताबिक अभी तक प्राधिकरण के जरिए कराए गए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 5 साल के मासूम बच्चे से लेकर 15 साल के नाबालिग युवक नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं.

नशे की सप्लाई की जड़ से हों खत्म

इसके अलावा स्कूल कॉलेजों शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाला युवा वर्ग आज नशे से ग्रसित है जो अपने आप में चिंताजनक है. अभियान के पहले 20 कार्य दिवस के दौरान इस बात का प्रयास रहेगा कि सिर्फ नशे से पीड़ित व्यक्ति जेल ना जांए. वहीं इसकी जगह नशे का सामान परोसने वाले जो असली गुनहगार हैं छोटा या बड़ा वो सलाखों के पीछे हों.

डॉक्टर ज्ञानेंद्र के मुताबिक अभियान का पहला प्रमुख उद्देश्य नशे की सप्लाई की जड़ तक जाकर डिमांड वाले हिस्से तक चोट पहुंचाने का है जिससे इस काले कारोबार पर प्रभावी अंकुश लग सके. प्राधिकरण ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी 13 जिलों में नि शुल्क नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं ताकि नशे से ग्रस्त 70% गरीब लोगों का सही रूप से उपचार कर उनका पुनर्वास किया जा सके.

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पुनर्वास कार्यक्रम में नशे के कारण शिक्षा से वंचित होने वाले और रोजगार से पिछड़ने वाले लोगों को इस तरह से पुनर्वास किया जाएगा जिससे वह समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें.

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